आज सदी का सबसे लम्बा ग्रहण लग रहा है. इसमें चाँद तांबे जैसा दिखाई देगा. खगोल-शास्त्री कहते हैं कि यह कई देशों में, और बहुत देर तक दिखाई देगा. वे यह भी कह रहे हैं कि इस ग्रहण के अन्यान्य प्रभावों में एक प्रभाव राजनैतिक भी होगा. कहा जा रहा है कि राजनैतिक उथल-पुथल की आशंका है. कुछ लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि इस ग्रहण के प्रभाव से सत्ता-पक्ष और निरंकुश हो जायेगा. पर एक बात समझ में नहीं आ रही कि कहाँ की सत्ता निरंकुश हो जाएगी? क्या जहाँ-जहां ये दिखाई देगा उन सब जगहों की?
शायद ज्योतिषी- विद्वान ये नहीं जानते कि निरंकुश होने के लिए सत्ता सदी के सबसे बड़े ग्रहण की मोहताज़ नहीं है. निरंकुश हो जाना तो उसके बाएं-हाथ का खेल है. लगता है, ये ग्रहण नेताओं को बचाने आया है, ताकि उनके कर्मों को लोग ग्रहों और ग्रहणों का खेल मान लें. अब चाँद, तारों और नक्षत्रों का यही काम रह गया है कि दोनों हाथों से देश का धन लूटते नेताओं की कुंडलियों के अनुसार घूम कर चक्कर लगाते फिरें? नेता पहले धन लूटें, फिर विदेशों में माल छिपायें और फिर जनता को चौकन्ना करने वालों के साथ मार-पीट कर के उन्हें धमकाएं. और तब आसमान से चन्द्रमा, सूरज यह कहते प्रकट हों कि इन सब बेचारे नेताओं ने यह सब हमारी चाल के कारण किया है.जनता का ऐसा मार्गदर्शन करने वालों की जय.
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