कुछ दिन पहले मेरे एक पाठक का पत्र आया [आजकल पत्र नहीं आते, पर छोटी जगहों के बड़े लोग अब भी कभी-कभी लिखते हैं] कि मुझे बहुत पढ़ लेने के बाद भी वे मेरे बारे में यह नहीं जान पाए हैं कि निजी ज़िन्दगी में मेरी उपलब्धियां क्या हैं?
यदि इसमें किसी की रूचि हो सकती है तो मुझे कहने में क्या संकोच? मैं आज आपको अपने जीवन की दस उपलब्धियां, मेरे पसंद-क्रमानुसार बताता हूँ, लेकिन इसे यह मत कहियेगा-"अपने ढोल पर अपनी थाप".कभी-कभी पाठकों के लिए 'कहना पड़ता है'.क्रम दस से एक है, अर्थात उल्टा.
१०. मुझे अपने कैरियर में भारत के एक ऐसे गाँव,जिसमे बिजली और पानी की भी व्यवस्था नहीं थी, कच्चे रस्ते से पैदल सूखी नदी पार करके बस्ती तक जाना होता था,से लेकर भारत के सबसे बड़े नगरों की सबसे आलीशान कॉलोनियों में वातानुकूलित दफ्तरों में काम करने का मौका मिला, जहाँ जाने-माने अरबपतियों से लेकर फ़िल्मी सितारों तक से आसानी से मिलना-जुलना हो जाता था.
९. मुझे मुंबई में अमिताभ बच्चन के आवास 'प्रतीक्षा' में उनके पिता श्री हरिवंश राय बच्चन पर लिखने के कारण जाने का अवसर मिला जिसमे जया बच्चन और अभिषेक बच्चन से मिलने का अवसर भी मिला.
८.मुझे अपने जीवन के तमाम अवसर ज्यादा मेहनत के बिना प्राप्त हुए, यहाँ तक कि अपने आवास के निर्माण तक के लिए मेरा श्रम नगण्य है. मुझे परिजनों से सहयोग मिला.
७. मुझे देश के दो जाने-माने विश्व-विद्यालयों में प्रतिष्ठा-पूर्ण स्थान सहज-संयोग से प्राप्त हुए.
६. मुझे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का बड़ा पुरस्कार बिना आवेदन किये अथवा बिना कोई अनुशंसा करवाए अकस्मात् प्राप्त हुआ .
५. मैंने अपने कैरियर में बारह ऐसे क्षेत्रों में लगातार काम किया जिनमे से किसी एक को भी लोग अपना पूरा कैरियर बना लेते हैं. इनमे किसी भी क्षेत्र को असफल होकर छोड़ने की ज़रुरत कभी महसूस नहीं की.[ ये क्षेत्र हैं- बैंकिंग, पत्रकारिता, विज्ञापन, संपादन, सृजनात्मक लेखन, प्रशासन, अध्यापन, प्रबंधन, सतर्कता, राजनैतिक जागरूकता, समाज सेवा, सरकारी राज्य-स्तरीय कार्यक्रमों का समन्वयन. ]
४. मैंने एक बार भारतीय प्रबंध संस्थान[आइआइएम] में प्रवेश लेना चाहा था,किन्तु सामानांतर दूसरा अवसर मिलने के कारण मैं उस से जुड़ नहीं सका था, परन्तु मुझे बच्चों के माध्यम से उस से निकटता से जुड़ने का मौका मिला.
३. मुझे फिल्म-स्टार व प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार ने अपने पुत्र कुमार गौरव के लिए लिखने हेतु अपने आवास पर आमंत्रित किया.
२. मुंबई में रहते हुए बिना किसी संपर्क या अनुशंसा के दिल्ली के एक प्रकाशक ने मेरी ६ पुस्तकों का प्रकाशन किया. [केवल अखबारों में छपी कहानियों के आधार पर]
१. मुझे लम्बे समय तक दुनिया के सबसे बड़े देश में रहने का अवसर मिला, जो कि कभी मेरे पिता का भी सपना था. [वे विश्व के एक महान लेखक की पुस्तक का भारतीय छात्रों के लिए रूपांतरण कर रहे थे.]