Tuesday, March 26, 2013

होली में ये काले-पीले चेहरे

होली आई नहीं, कि  सबने तरह-तरह के रंगों की बौछार उड़ानी शुरू कर दी। लगता है कि विपक्ष ने भी  सत्ता पर छींटे उड़ाने की तैयारी  पूरी कर ली है। मुलायम सख्त होने लगे, तो माया मायावी होने लगी हैं। सत्ता के कीचड़ में खिलने को आतुर कमल अब अकेला नहीं, अरविन्द भी हैं। करुणा और जयललिता ने सरकार की भागीदारी कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैलाने को कमर कसी है। ममता, रामदेव, अन्ना और नीतीश, होली तो सबका त्यौहार है। उधर कांग्रेस के कॉन्फिडेंस के क्या कहने-
          चाहे कोउ भूखौ मरे, चाहे भरपेट खावै, काम चाहे जो भी करै,फैसला हमारौ है
          तीतर उड़े तो कोउ आवेगौ बटेर यहाँ,  अंडा चाहे जाके रहें,  घोंसला हमारौ है।    

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया और सटीक कहा है आपने गोविल भाई .

    मधुदीप

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...