दूसरों के लिखे संवाद तो दुनिया का हर अभिनेता बोलता है। किसी और के निर्देशों पर अभिनय करना एक्टरों का पेशा ही है। नृत्य निर्देशकों की तालियों पर सुपरस्टार थिरकते हैं। स्टंट निर्देशकों के सोच पर ये करोड़ों कमाने वाले हैरत-अंगेज़ कारनामों में जान झोंक देते हैं। यह सब तो रोज़ का काम है। इसमें क्या रोमांच?
लेकिन कभी-कभी किसी कलाकार को नियति खुद अपने हाथों से गढ़ती है।
कोई मधुबाला दर्द से तड़पती रहती है, और कहीं से किसी निर्देशक की आवाज़ नहीं आती- "कट"
कोई मीना कुमारी जाम पर जाम पिए जाती है और कोई निर्देशक नहीं कहता- "ओके, अब गिलास रख दो"
कोई गुरुदत्त दुनिया को कोसता रहता है, और मेहनताने का चेक लेकर कोई निर्माता नहीं आता
कोई स्मिता पाटिल मरने का जीवंत सीन देती है, और पब्लिक ताली नहीं बजाती
कोई दिव्या भारती ऊंची इमारत से छलांग लगा देती है और नीचे "सेफ्टी नेट" नहीं होता
कोई राजेश खन्ना 'नीलीछतरी वाले' से बात करने आसमान में जाता है, और नीचे चिता तैयार होने लगती है
कोई बेड़ियों में जकड़ा संजय दत्त जेल की तरफ कदम बढाता है, और संतरी औटोग्राफ लेने नहीं दौड़ते।
कुछ पटकथाएं विधाता खुद लिखता है।
लेकिन कभी-कभी किसी कलाकार को नियति खुद अपने हाथों से गढ़ती है।
कोई मधुबाला दर्द से तड़पती रहती है, और कहीं से किसी निर्देशक की आवाज़ नहीं आती- "कट"
कोई मीना कुमारी जाम पर जाम पिए जाती है और कोई निर्देशक नहीं कहता- "ओके, अब गिलास रख दो"
कोई गुरुदत्त दुनिया को कोसता रहता है, और मेहनताने का चेक लेकर कोई निर्माता नहीं आता
कोई स्मिता पाटिल मरने का जीवंत सीन देती है, और पब्लिक ताली नहीं बजाती
कोई दिव्या भारती ऊंची इमारत से छलांग लगा देती है और नीचे "सेफ्टी नेट" नहीं होता
कोई राजेश खन्ना 'नीलीछतरी वाले' से बात करने आसमान में जाता है, और नीचे चिता तैयार होने लगती है
कोई बेड़ियों में जकड़ा संजय दत्त जेल की तरफ कदम बढाता है, और संतरी औटोग्राफ लेने नहीं दौड़ते।
कुछ पटकथाएं विधाता खुद लिखता है।
बहुत सही कहा..इस फेहरिस्त में और भी नाम जुड सकते हैं.
ReplyDeleteji mere jehan me hain vo naam, kabhi jodunga. Aap bhi sujhaaiye.
ReplyDeleteDhanyawad
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteDhanyawad
ReplyDeleteBilkul sahi...
ReplyDelete