आपको याद है?
श्रीदेवी का सोलहवां सावन ?
टीना मुनीम- मैं सोलह बरस की, तू कितने बरस का?
बबिता -सोलह साल की उमर, कोका कोला सी कमर
सायरा बानो-तारे गिन-गिन के बरस भये सोला, कैसे दीवाने पे दिल तोरा डोला?
पद्मिनी कोल्हापुरे- सोला बरस की बाली उमर को सलाम
रेहाना सुलतान-जब मैं हो गई सोला बरस की, सर से दुपट्टा मोरा लीना
ये कोई नई बात नहीं है जब सरकार या क़ानून 'प्रेम शास्त्र' में सोलह का आंकड़ा जोड़ने जा रहे हों? हमारी कई पीढ़ियाँ यही सुन के जवान हुई हैं-"सदा तेरी इतनी उमर रहे ओ सनम, न सत्रह से ज़्यादा न सोलह से कम" या फिर- "तन-मन दे डाला मैंने सोलह साल वाला, तूने एक ख़त भी न डाला, पंद्रह पैसे वाला"
देश के "राष्ट्रपिता" की जब शादी हुई तो उनकी पत्नी सोलह साल से कहीं कम उम्र की थीं। हम में से आज भी ऐसे कितने हैं जिनके दादा-दादी या नाना-नानी का विवाह सोलह साल की उम्र में नहीं हो गया?
केवल तीन कारण थे,जिन्होंने धीरे-धीरे "इस"आयु को अठारह, इक्कीस और फिर पच्चीस तक, बल्कि और भी आगे पहुंचाया-
१. हम स्त्री-शिक्षा और उच्च शिक्षा की अवधि को और बढ़ा कर देश की जनसंख्या का दबाव कम करना चाहते थे।
२. आर्थिक हालातों के चलते देश में जल्दी रोज़गार पाना आसान न रहा।
३. सुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए विज्ञान ने कई महफूज़ रास्ते निकाल दिए।
अतः ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं है कि इस नई व्यवस्था से कोई बहुत बड़ा सामाजिक नुकसान होने जा रहा है। बल्कि हमने जब से यह उम्र बढ़ाई तब से दुष्कर्म और यौन हिंसा के मामले ज्यादा बढ़ गए। जो लोग सोलह साल के बच्चों को "बच्चा" समझ कर बिगड़ जाने की दुहाई दे रहे हैं वे इन रिपोर्टों पर भी ध्यान दें, कि देश में बारह साल से बड़ी आयु के ६६ प्रतिशत बच्चे "यौन क्रिया"की अनुभूति से गुज़र चुके होते हैं, लेकिन ये अवैध होने और अपराध घोषित होने के कारण इस पर चुप्पी लगाना ठीक समझते हैं।
श्रीदेवी का सोलहवां सावन ?
टीना मुनीम- मैं सोलह बरस की, तू कितने बरस का?
बबिता -सोलह साल की उमर, कोका कोला सी कमर
सायरा बानो-तारे गिन-गिन के बरस भये सोला, कैसे दीवाने पे दिल तोरा डोला?
पद्मिनी कोल्हापुरे- सोला बरस की बाली उमर को सलाम
रेहाना सुलतान-जब मैं हो गई सोला बरस की, सर से दुपट्टा मोरा लीना
ये कोई नई बात नहीं है जब सरकार या क़ानून 'प्रेम शास्त्र' में सोलह का आंकड़ा जोड़ने जा रहे हों? हमारी कई पीढ़ियाँ यही सुन के जवान हुई हैं-"सदा तेरी इतनी उमर रहे ओ सनम, न सत्रह से ज़्यादा न सोलह से कम" या फिर- "तन-मन दे डाला मैंने सोलह साल वाला, तूने एक ख़त भी न डाला, पंद्रह पैसे वाला"
देश के "राष्ट्रपिता" की जब शादी हुई तो उनकी पत्नी सोलह साल से कहीं कम उम्र की थीं। हम में से आज भी ऐसे कितने हैं जिनके दादा-दादी या नाना-नानी का विवाह सोलह साल की उम्र में नहीं हो गया?
केवल तीन कारण थे,जिन्होंने धीरे-धीरे "इस"आयु को अठारह, इक्कीस और फिर पच्चीस तक, बल्कि और भी आगे पहुंचाया-
१. हम स्त्री-शिक्षा और उच्च शिक्षा की अवधि को और बढ़ा कर देश की जनसंख्या का दबाव कम करना चाहते थे।
२. आर्थिक हालातों के चलते देश में जल्दी रोज़गार पाना आसान न रहा।
३. सुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए विज्ञान ने कई महफूज़ रास्ते निकाल दिए।
अतः ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं है कि इस नई व्यवस्था से कोई बहुत बड़ा सामाजिक नुकसान होने जा रहा है। बल्कि हमने जब से यह उम्र बढ़ाई तब से दुष्कर्म और यौन हिंसा के मामले ज्यादा बढ़ गए। जो लोग सोलह साल के बच्चों को "बच्चा" समझ कर बिगड़ जाने की दुहाई दे रहे हैं वे इन रिपोर्टों पर भी ध्यान दें, कि देश में बारह साल से बड़ी आयु के ६६ प्रतिशत बच्चे "यौन क्रिया"की अनुभूति से गुज़र चुके होते हैं, लेकिन ये अवैध होने और अपराध घोषित होने के कारण इस पर चुप्पी लगाना ठीक समझते हैं।
Sochne wali baat h...
ReplyDeleteab kanoon ka dhyan bhi is or jaa raha hai.
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