Thursday, January 31, 2013

क्या आप जानते हैं?

किसी का भी कभी विकास नहीं होता। यहाँ हम व्यक्तिगत बात नहीं कर रहे, ये प्रजाति या नस्ल की बात है।
कहने का तात्पर्य यह है कि  बन्दर हमेशा बन्दर, और घोड़ा  हमेशा घोड़ा  ही रहता है। करोड़ों सालों में कुछ मामूली परिवर्तन हुए हैं, जिनमें एक तो बन्दर से इंसान बन जाना और या फिर इंसान की पूँछ का विलुप्त हो जाना, जैसी बातें शामिल हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ कि  समय के साथ लोमड़ी हाथी बन गई हो, या फिर कबूतर लकडबग्घा बन गया हो।
तब विस्मयकारी बात यह है कि  बन्दर इंसान क्यों बन गया? और कौन सा बन्दर इंसान बन गया, क्योंकि बन्दर तो अभी भी है। क्या ईश्वर आदमी और बन्दर की अवस्थिति को लेकर किसी असमंजस में था? इंसान को सीधे ही क्यों नहीं बनाया जा सका। पहले बन्दर बना कर फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे इंसान में तब्दील करना, क्या सिद्ध करता है? क्या प्रकृति इंसान से आश्वस्त नहीं थी?या बन्दर बना कर उसे पूर्ण संतोष नहीं प्राप्त हुआ, फलस्वरूप उसने अपनी सृष्टि में एक बड़ा फेर-बदल कर लिया?
इसका क्या कारण हो सकता है? यदि आपके पास कोई तर्क हो तो बताएं।

3 comments:

  1. ''Bandar kya jaane adrak ka swad'' toh mera tark ye hai ki bhagwan ji ne sabhi bandaro ko adrak khaane k lie diya,jis-jis ko bhi adrak pasand aaya,usse aadmi bna diya gya aur baaki k abhi bhi bandar hi h :)))

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  2. Bahut khoob, ab agar chaay me kisi ne sadaa adrak bhi daal diya to chupchaap peeni hi padegi.

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