जिस तरह लायब्रेरी काम करती है, ठीक उसी तरह साहित्यिक समारोह भी काम करते हैं। दोनों में दो तरह के लोग शिरकत करते हैं। एक वे, जो वहां से झोली भर ले जाने आते हैं, दूसरे वे, जो अपना अवदान वहां देने आते हैं। पुस्तकालय में हज़ारों लोग ज्ञान को ढूंढते हुए आते हैं, और हज़ारों लोग जीवन के अपने 'संचित' को पुस्तकों के रूप में,पार्श्व में रह कर वहां सजाते रहते हैं।
जयपुर समारोह में भी कई नामी-गिरामी कलमकार इसी भूमिका में आ रहे हैं। अच्छा लग रहा है युवाओं का लाइनों में लग कर बड़ी संख्या में पंजीकरण कराना। कल से यह चहल-पहल अनुष्ठान में बदल जायेगी।
जयपुर समारोह में भी कई नामी-गिरामी कलमकार इसी भूमिका में आ रहे हैं। अच्छा लग रहा है युवाओं का लाइनों में लग कर बड़ी संख्या में पंजीकरण कराना। कल से यह चहल-पहल अनुष्ठान में बदल जायेगी।
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