बड़ा बेतुका सा सवाल है।भला अपने घर से दुनिया की क्या तुलना? और यदि हारने-जीतने की बात हो तब तो यह तुलना और भी बेमानी है। अपने घर को तो आदमी जीत ही लेता है।और दुनिया को कोई कभी नहीं जीत सकता, चाहे कितना ही जोर लगाले। दुनिया किसी बाग़ में उड़ती तितली नहीं है कि कोई भी इसे जीत ले।
थोड़ी देर के लिए मुहावरों को छोड़ कर बात करें, तो कुछ लोग दुनिया को सचमुच जीत लेते हैं। दुनिया को जीतने का मतलब है, आप दुनिया में जो भी करना चाहते थे, वह आपने इतनी खूबी और पूर्णता से किया कि दुनिया आपका लोहा मान गई। जैसे भारतरत्न लता मंगेशकर ने गाने के क्षेत्र में किया। लगभग वैसी ही सफलता उनकी बहन आशा भोंसले ने भी पाई।
लेकिन क्या आशा भोंसले ने भी दुनिया को जीत लिया? हाँ, शायद जीत लिया। क्या उन्होंने अपने "घर"को भी जीत लिया? वे अपने घर की 'नंबर-दो' गायिका बन गयीं।
आशाजी ने अभी चैन की सांस नहीं ली है। वे जल्दी ही अभिनय के मैदान में अपने जौहर दिखाने वाली हैं। सच है ...दुनिया को जीतना आसान है, घर को ...
थोड़ी देर के लिए मुहावरों को छोड़ कर बात करें, तो कुछ लोग दुनिया को सचमुच जीत लेते हैं। दुनिया को जीतने का मतलब है, आप दुनिया में जो भी करना चाहते थे, वह आपने इतनी खूबी और पूर्णता से किया कि दुनिया आपका लोहा मान गई। जैसे भारतरत्न लता मंगेशकर ने गाने के क्षेत्र में किया। लगभग वैसी ही सफलता उनकी बहन आशा भोंसले ने भी पाई।
लेकिन क्या आशा भोंसले ने भी दुनिया को जीत लिया? हाँ, शायद जीत लिया। क्या उन्होंने अपने "घर"को भी जीत लिया? वे अपने घर की 'नंबर-दो' गायिका बन गयीं।
आशाजी ने अभी चैन की सांस नहीं ली है। वे जल्दी ही अभिनय के मैदान में अपने जौहर दिखाने वाली हैं। सच है ...दुनिया को जीतना आसान है, घर को ...
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