पानी की फितरत भी बड़ी अजीब है। सफीने इसी में तैरते हैं, इसी में डूबते हैं।
जिंदगी से पानी उतर जाए तो केवल आग बचती है। फिर इस बुखार में तपकर रावण सीता को चुराता है। इसी से सुलग कर राजकन्या मीरा पत्थर की मूर्ति पर सिर रगड़ती है। इसी तूफ़ान से अभिमन्यु कोख में चक्रव्यूह चीरना सीखता है, इसी के ताप से भस्मासुर शिव के पीछे भागता है।
[दिशा प्रकाशन, दिल्ली से शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास "जल तू जलाल तू" के सरोकार]
जिंदगी से पानी उतर जाए तो केवल आग बचती है। फिर इस बुखार में तपकर रावण सीता को चुराता है। इसी से सुलग कर राजकन्या मीरा पत्थर की मूर्ति पर सिर रगड़ती है। इसी तूफ़ान से अभिमन्यु कोख में चक्रव्यूह चीरना सीखता है, इसी के ताप से भस्मासुर शिव के पीछे भागता है।
[दिशा प्रकाशन, दिल्ली से शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास "जल तू जलाल तू" के सरोकार]