एकरूपता और एकरसता बहुत अलग-अलग बातें हैं. यह दोनों रेल की पटरियों की तरह साथ-साथ भी ज्यादा देर तक नहीं चल पातीं. आप कल्पना कीजिये, कि देश के एक भाग में एक बच्चा पढ़ रहा है, और दूसरे भाग में दूसरा. दोनों एक डिग्री ले लेने के बाद भी जब किसी एक जगह मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे जैसे होते हुए भी वे परस्पर बात नहीं कर पाते.यह स्थिति उस देश की शिक्षा की है जहाँ शिक्षा एकरसता की शिकार है. ऐसा आप भारत में देख सकते हैं. हिमाचल प्रदेश में पढ़े बच्चे को कर्णाटक ले जाइये. या बंगाल के पढ़े लड़के को गुजरात में लाइए. इन बच्चों की शिक्षा में जो अपूर्णता आप देखेंगे वह केवल प्राथमिक शिक्षा की बात नहीं है, बल्कि उच्च -शिक्षा तक में यह विभिन्नता आपको दिखेगी.इस विभेदकारी स्थिति में संस्कृति, भाषा, पर्यावरण, भौगोलिक असमानता, खान-पान आदि सभी बातों का थोडा-थोडा योगदान है. अब आप कहेंगे कि शिक्षा इसमें क्या कर सकती है? तो इसमें शिक्षा को ही करना है. बच्चे के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं की दूसरी जगह के हिसाब से समायोजन क्षमता शिक्षा को ही विकसित करनी है. अमेरिकी शिक्षा की सबसे बड़ी खूबी यही है. एकरूपता का तत्व यहाँ एकरसता से बचाकर विद्यार्थी के व्यक्तित्व में डाला गया है. अमेरिका में शिक्षित व्यक्ति, अथवा दूसरी जगह से आकर अमेरिका में स्थापित व्यक्ति इस समायोजन क्षमता के सहारे ही विभिन्न गतिविधियों से समाधान खोज पाने में सक्षम होते हैं. यही उस देश की सफलता है.
प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
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