वो बूढा जो जा रहा है देखो, धीरे-धीरे अपने काम से
अपना समय काटने
चाहता है मन ही मन
कि घेर लें उसे आकर, चारों तरफ से लोग
और पूछें उससे - कैसे हो ?
कैसे खाते हो अब, कमज़ोर पड़ गए दांतों से
क्या करते हो बीमार पड़ने पर
कहाँ खपाते हो पूरे चौबीस घंटे का दिन ?
लेकिन नहीं आते लोग
आतीं हैं केवल लोगों की आहटें पूछती हुई,
कि कब तक खाते रहोगे
कहाँ रखी है दबा कर अपनी कमाई
और ...अब तक हो ???
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