यह समय "कार्टिलेज" समय कहा जा रहा है। क्योंकि यह समय सख्त इंसानियत पर कोमल मुलम्मे का नहीं है। यह कोमल इंसानियत पर कार्टिलेज जैसे अर्धसख्त आवरण का समय है। कुछ लोग कोमल इंसानियत को लिजलिजी मनुष्यता भी कह रहे हैं। उधर कुछ लोग मुलम्मे को पूर्ण सख़्त मानते हुए इसे 'बोन'समय भी कहते दिख रहे हैं। उनका तात्पर्य अस्थि-समय से है।
यह सब कहाँ हो रहा है, और ये है क्या? इसका मतलब क्या है, और इस से होगा क्या? यही जानना चाहते हैं न आप?
कोई कह रहा है कि अब विश्व युद्ध हो ही जायेगा। कोई-कोई कह रहा है कि विश्व युद्ध होने की आशंका एक अर्ध-उजागर सत्य है। यह सम्भावना न तो पारदर्शी है, और न अपारदर्शी।
इसमें से सत्य की चंद रश्मियाँ निकलती ज़रूर दिखती हैं, किन्तु उनकी प्रखरता संदिग्ध है।
घिनौने घोंघे की तरह सब हो रहा है। घोंघा सागर में नहा कर भी मटमैला ही रहता है।वह भैंस के दूध की भांति धवल नहीं हो सकता। उसे होना भी क्यों है? उसका न कुछ बनेगा न ही बिगड़ेगा।
कहा न, ये कार्टिलेज समय है।
यह सब कहाँ हो रहा है, और ये है क्या? इसका मतलब क्या है, और इस से होगा क्या? यही जानना चाहते हैं न आप?
कोई कह रहा है कि अब विश्व युद्ध हो ही जायेगा। कोई-कोई कह रहा है कि विश्व युद्ध होने की आशंका एक अर्ध-उजागर सत्य है। यह सम्भावना न तो पारदर्शी है, और न अपारदर्शी।
इसमें से सत्य की चंद रश्मियाँ निकलती ज़रूर दिखती हैं, किन्तु उनकी प्रखरता संदिग्ध है।
घिनौने घोंघे की तरह सब हो रहा है। घोंघा सागर में नहा कर भी मटमैला ही रहता है।वह भैंस के दूध की भांति धवल नहीं हो सकता। उसे होना भी क्यों है? उसका न कुछ बनेगा न ही बिगड़ेगा।
कहा न, ये कार्टिलेज समय है।
सही बात है1
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार को चुरा ली गई है- चर्चा मंच पर ।। आइये हमें खरी खोटी सुनाइए --
ReplyDeleteAap donon ka aabhaar!
ReplyDeleteबहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक।
ReplyDeleteDhanyawad !
ReplyDeleteउपयोगी और ज्ञानवर्धक।
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