जब ये पूछा पार्टी, क्यों हारी ये जंग?
बोलीं सब बतलाऊँगी,लिख दूंगी एक छंद!
कैसे हो गए रोज़-रोज़, घोटाले चहुँ ओर?
बोलीं, कविता में कहूँ, कौन-कौन था चोर!
कौन विरोधी से मिला, कौन आपके साथ?
-ग़ज़ल कहूँगी एक दिन, होगा परदा फ़ाश !
जमाखोर भरते रहे, कौन तिजोरी माल?
-सबका सुनना एक दिन, लघुकथा में हाल!
मँहगाई बढ़ती रही, फूला भ्रष्टाचार !
-रुकिए बनने दीजिये, मुझे कहानीकार
इतना कहिये पॉलिटिक्स, अच्छी या खराब?
-बाबा थोड़ा ठहरिये, पढ़ लेना "किताब" !
बोलीं सब बतलाऊँगी,लिख दूंगी एक छंद!
कैसे हो गए रोज़-रोज़, घोटाले चहुँ ओर?
बोलीं, कविता में कहूँ, कौन-कौन था चोर!
कौन विरोधी से मिला, कौन आपके साथ?
-ग़ज़ल कहूँगी एक दिन, होगा परदा फ़ाश !
जमाखोर भरते रहे, कौन तिजोरी माल?
-सबका सुनना एक दिन, लघुकथा में हाल!
मँहगाई बढ़ती रही, फूला भ्रष्टाचार !
-रुकिए बनने दीजिये, मुझे कहानीकार
इतना कहिये पॉलिटिक्स, अच्छी या खराब?
-बाबा थोड़ा ठहरिये, पढ़ लेना "किताब" !
एकदम सटीक!
ReplyDeleteDhanyawad !
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