मंटू कुमार एसकेआईटी में इंजीनियरिंग का छात्र है. वह एक बहुत अच्छा कवि और सक्रिय ब्लॉगर भी है. उसके ब्लॉग पर उसकी कविताओं पर प्रतिक्रिया देने के चलते ही मेरी उस से पहचान हुई और फिर वह मुझसे मिलने भी आया. हम कई बार मिले और उसकी कविताओं पर कई बार बात होती रही, वह अपनी नई कवितायेँ मुझे दिखाने के लिए भी लाता था. जल्दी ही मेरी और उसकी कविताओं की सम्मिलित किताब "उगती प्यास दिवंगत पानी" भी छप गई, जिसे बहुत सराहना मिली.
किताब का विमोचन प्रेस क्लब में संपन्न हुआ और विमोचन कार्यक्रम का संचालन खुद मंटू ने ही किया.
इसके बाद उसके कॉलेज में छुट्टियां हो गईं और वह पंद्रह दिन बाद वापस आने के लिए कह कर बिहार चला गया.
इस बात को अब लगभग छह महीने हो गए हैं किन्तु मंटू लौट कर नहीं आया. वह न अपने ब्लॉग पर है, न फेसबुक पर और न ही उसे भेजे गए मेल का कोई जवाब आ रहा है. न ही उसके मोबाइल पर कोई उत्तर मिलता है.
अब तक मैं यही समझता रहा कि यह सब भविष्य के महाकवि के "मूड" का मामला है, वह शायद किसी नई पहचान के साथ अवतरित होना चाहता है.
लेकिन अब बात गंभीर होती जा रही है, मुझे फेसबुक पर उसके मित्रों से किये अनुरोध का भी कोई उत्तर नहीं मिला. अब मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि कुछ जानकारी हो तो कृपया दें.
किताब का विमोचन प्रेस क्लब में संपन्न हुआ और विमोचन कार्यक्रम का संचालन खुद मंटू ने ही किया.
इसके बाद उसके कॉलेज में छुट्टियां हो गईं और वह पंद्रह दिन बाद वापस आने के लिए कह कर बिहार चला गया.
इस बात को अब लगभग छह महीने हो गए हैं किन्तु मंटू लौट कर नहीं आया. वह न अपने ब्लॉग पर है, न फेसबुक पर और न ही उसे भेजे गए मेल का कोई जवाब आ रहा है. न ही उसके मोबाइल पर कोई उत्तर मिलता है.
अब तक मैं यही समझता रहा कि यह सब भविष्य के महाकवि के "मूड" का मामला है, वह शायद किसी नई पहचान के साथ अवतरित होना चाहता है.
लेकिन अब बात गंभीर होती जा रही है, मुझे फेसबुक पर उसके मित्रों से किये अनुरोध का भी कोई उत्तर नहीं मिला. अब मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि कुछ जानकारी हो तो कृपया दें.
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