कहते हैं कि दुनिया में कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो कभी ख़त्म नहीं होंगी.कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं जो हमेशा से थीं. लेकिन इन सभी में भी एक चीज़ ज़रूर ऐसी है जो हमेशा से थी भी, और हमेशा रहेगी भी. दुनिया की इस सबसे ज्य़ादा उम्रदराज़ चीज़ का नाम है प्यार.
इस प्यार को जब-जब याद किया जाएगा, तब-तब फूल खिल उठेंगे.क्योंकि फूलों का प्यार से बड़ा अपनापे का रिश्ता है.आपने वह कहानी तो सुनी ही होगी-
"एक था गुल और एक थी बुलबुल"
पुरानी कहानी है, मगर आज भी जब प्यार की बात आती है तो यही कहा जाता है कि तुम भी किसी से प्यार करो तो प्यार गुल- ओ-बुलबुल सा करना …
इस कहानी को हिंदी फ़िल्मी परदे पर साकार किया था अभिनेत्री नंदा ने, जो बचपन में ही बेबी नंदा बन कर फिल्मों में आ गयी थी.देखते-देखते ये बेबी युवा तारिका बन गई और फिर अगली पीढ़ी ने एक दिन इसे प्रेमरोग में माँ की भूमिका में भी देखा.
और आज अचानक खबर आई कि बेबी नंदा अब इस दुनिया में नहीं रही.
जिन लोगों ने नंदा को "अपने" दिनों में देखा है वे गवाही देंगे कि "चुलबुली" शब्द का अर्थ उन्होंने किसी डिक्शनरी से देख कर नहीं, बल्कि नंदा को देख कर ही जाना.वे पुराने दिनों में 'नया नशा' थीं.
यकीन नहीं होता कि वे अब न रहीं. श्रद्धांजलि !
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