Wednesday, December 2, 2015

यदि कर सके तो सरकार ये कर दे !

इस समय माहौल बहुत अच्छा है। 
देश के अधिकांश बुद्धिजीवी, साहित्यकार, कलाकार, संत,विचारक आदि अपने सब दैनिक क्रियाकलाप छोड़ कर "सूरज को देखते हुए सूरजमुखी फूल" की भांति केवल मोदीजी और केंद्र सरकार को ही देख रहे हैं। ये आपको बताते हैं कि सरकार ने क्या नहीं किया, क्या-क्या गलतियां कीं, प्रधानमंत्री कहाँ गए, कहाँ नहीं गए, उन्होंने क्या पहना, क्या पहनना छोड़ दिया, क्या खाया, किसके साथ खाया, क्या बोले, क्यों बोले, क्यों नहीं बोले... आदि। 
सरकार उनकी इस सक्रियता का सकारात्मक लाभ क्यों न ले?
प्रत्येक जिला अधिकारी के कार्यालय में एक बोर्ड और मार्कर रखवा दे, और बुद्धिजीवियों का आह्वान करे कि वे जब चाहें, यहाँ आकर बोर्ड पर लिख जाएँ कि सरकार ने क्या गलत किया, या वो क्या करे?
आवश्यक हो तो सरकार इसके लिए उन्हें आने-जाने का किराया-भत्ता भी दे। जनसम्पर्क विभाग रोज इस बोर्ड की सामग्री स्थानीय अख़बारों को उपलब्ध करवा दे.   
बोर्ड पर शीर्षक हो- "क्या कहते हैं देश/समाज के हितैषी?"

2 comments:

  1. इन्‍होंने बुद्धिजीवी होने की परिभाषा को ही कलंकित कर दिया है।

    ReplyDelete
  2. Jinhone apne ko "Bauna" banaa liya ve ab unka mausam aane par bhee Bonsai hi ban kar rahenge.

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...