प्रेस से छेड़छाड़ सरकारी पाप कहलाता है फिर भी सरकार "असहिष्णुता" रोकने के लिए ये तो कर ही सकती है-
१. चंद मिनटों में सैंकड़ों ख़बरों के प्रसारण वाली शैली पर रोक लगाए [शालीन सम्पूर्ण बयानों में से आधा-अधूरा जुमला ले उड़ना इसी से होता है ]
२. समाचार चैनलों के एंकरों [विशेषकर बहस संचालित करने वाले] के गले की "पिच सीमा" तय करे.ये सभ्य और शालीन प्रवक्ताओं/ नेताओं को भी प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरह डांट कर बेवजह आक्रामक और उद्दंड बना रहे हैं.
३. चर्चा में कब किसके सामने से कैमरा हटेगा, यह अधिकार किसी तटस्थ मध्यस्थ को सौंपने की बाध्यता हो.इन "बहसों" को देखते समय याद आ जाता है कि भांड-विदूषकों ने गंभीर कवियों को मंचों से कैसे हाशिये पर धकेला !
१. चंद मिनटों में सैंकड़ों ख़बरों के प्रसारण वाली शैली पर रोक लगाए [शालीन सम्पूर्ण बयानों में से आधा-अधूरा जुमला ले उड़ना इसी से होता है ]
२. समाचार चैनलों के एंकरों [विशेषकर बहस संचालित करने वाले] के गले की "पिच सीमा" तय करे.ये सभ्य और शालीन प्रवक्ताओं/ नेताओं को भी प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरह डांट कर बेवजह आक्रामक और उद्दंड बना रहे हैं.
३. चर्चा में कब किसके सामने से कैमरा हटेगा, यह अधिकार किसी तटस्थ मध्यस्थ को सौंपने की बाध्यता हो.इन "बहसों" को देखते समय याद आ जाता है कि भांड-विदूषकों ने गंभीर कवियों को मंचों से कैसे हाशिये पर धकेला !
No comments:
Post a Comment