Sunday, December 20, 2015

"किशोर" की परिभाषा


तीन वर्ष पूर्व दिल्ली में घटे भीषणतम दुष्कर्म मामले के बाद ये सवाल उभर कर आया कि आखिर किस उम्र के किशोर को यौन क्रिया की दृष्टि से "पूर्ण मानव" माना जाये?
इसका सबसे सटीक और पूर्ण उत्तर यही है कि जिस उम्र का व्यक्ति [युवक या बालक] ऐसा अपराध करदे,वही उम्र सज़ा के लिए पर्याप्त मानी जानी चाहिए. यदि बच्चा बड़ों जैसा अपराध करे और हम उसे बच्चा समझ कर सजा में छूट देदें,तो हमें इस बात लिए भी तैयार रहना चाहिए कि कल हर चोर/डाकू/आतंकवादी बच्चों को अपराध के लिए प्रशिक्षित करके उनसे ही अपराध करवाएगा और हमारा कानून माफ़ी का गुलदस्ता हाथ में लिए अपराधियों को पुचकारता रहेगा.
यह एक कड़वा सच है कि देश में कोई कानून बनाना अब वैसे भी मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि हम दबंग बहादुरी के उस दौर में पहुँच गए हैं जब जनता के चुने हुए लोग काम करने के लिए "जनता से नकारे गए" लोगों के मोहताज़ हैं.देश ने समय-समय पर किस्म-किस्म की गांधीगिरी का साक्षात्कार किया है !       

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शोध

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