आइये, एक अच्छी बात में खराबी ढूंढें -
श्री अशोक अनवाणी ने एक किताब लिखी है-"सुहिणी साधना", जिसका विमोचन मुम्बई में हुआ। किताब "सिंधी"भाषा में है, जिसके विमोचन में साधना की खास सहेली पुष्पा छुगाणी और कोशी लालवाणी उपस्थित थीं तथा लक्ष्मण दूबे, नामदेव ताराचन्दानी और बंशी खूबचंदानी ने पुस्तक की तारीफ की। इस अवसर पर अहसान भाई, अंजू मोटवानी और टी मनवानी ने साधना पर फिल्माए गए गीत पेश किये। पुस्तक में लेखक ने खुलासा किया है कि-
साधना फ़िल्म इंडस्ट्री की प्रथम फ़ैशन आइकॉन थीं-[साधना-कट बाल(फ़िल्म वक्त ) चूड़ीदार पायजामा और कुरता(फ़िल्म मेरे मेहबूब ) उन्हीं की देन हैं]
वे फिल्मों की फर्स्ट यंग एंग्री वूमेन हैं [ फ़िल्म इंतकाम ]
फिल्मों का पहला पॉपुलर आयटम गीत [ झुमका गिरा रे, फ़िल्म मेरा साया] उन्हीं के नाम है।
महिला अभिनीत सर्वाधिक लोकप्रिय दोहरी भूमिका[ चार फिल्मों में] सबसे पहले उन्होंने की।
रहस्यमयी प्रेम को परदे पर उतारने का उनका फ़न आज तक बेमिसाल है।
वे राजेश खन्ना से भी पहले सुपर [महिला ]स्टार बन चुकी थीं।
इन तमाम अच्छी बातों में यह भी जोड़ लीजिये कि सरकार ने उन पर लिखी किताब के प्रकाशन के लिए आर्थिक अनुदान दिया। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने, जिनमें बड़ी संख्या में बुज़ुर्ग लोग शामिल हैं, उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से नवाज़े जाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की।
अच्छा अब आपको इस तमाम प्रकरण में कहीं कोई ख़राब बात भी नज़र आती है?
"हिंदी फिल्मों" की इस बेमिसाल सुपरस्टार अभिनेत्री के लिए ये सारे प्रयास सिंधी समाज ने किये, हिंदी समाज ने नहीं।
{साधना की फ़िल्में- लव इन शिमला, प्रेमपत्र, परख, दूल्हा दुल्हन, असली नकली,मनमौजी,एक मुसाफिर एक हसीना, वो कौन थी, वक्त, मेरे मेहबूब, आरज़ू, राजकुमार, हम दोनों, ग़बन, मेरा साया, एक फूल दो माली, इंतकाम, अनीता, बदतमीज़, सच्चाई, छोटे सरकार,महफ़िल, इश्क़ पर ज़ोर नहीं, गीता मेरा नाम, आप आये बहार आई, दिल दौलत और दुनिया, हम सब चोर हैं , अमानत}
श्री अशोक अनवाणी ने एक किताब लिखी है-"सुहिणी साधना", जिसका विमोचन मुम्बई में हुआ। किताब "सिंधी"भाषा में है, जिसके विमोचन में साधना की खास सहेली पुष्पा छुगाणी और कोशी लालवाणी उपस्थित थीं तथा लक्ष्मण दूबे, नामदेव ताराचन्दानी और बंशी खूबचंदानी ने पुस्तक की तारीफ की। इस अवसर पर अहसान भाई, अंजू मोटवानी और टी मनवानी ने साधना पर फिल्माए गए गीत पेश किये। पुस्तक में लेखक ने खुलासा किया है कि-
साधना फ़िल्म इंडस्ट्री की प्रथम फ़ैशन आइकॉन थीं-[साधना-कट बाल(फ़िल्म वक्त ) चूड़ीदार पायजामा और कुरता(फ़िल्म मेरे मेहबूब ) उन्हीं की देन हैं]
वे फिल्मों की फर्स्ट यंग एंग्री वूमेन हैं [ फ़िल्म इंतकाम ]
फिल्मों का पहला पॉपुलर आयटम गीत [ झुमका गिरा रे, फ़िल्म मेरा साया] उन्हीं के नाम है।
महिला अभिनीत सर्वाधिक लोकप्रिय दोहरी भूमिका[ चार फिल्मों में] सबसे पहले उन्होंने की।
रहस्यमयी प्रेम को परदे पर उतारने का उनका फ़न आज तक बेमिसाल है।
वे राजेश खन्ना से भी पहले सुपर [महिला ]स्टार बन चुकी थीं।
इन तमाम अच्छी बातों में यह भी जोड़ लीजिये कि सरकार ने उन पर लिखी किताब के प्रकाशन के लिए आर्थिक अनुदान दिया। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने, जिनमें बड़ी संख्या में बुज़ुर्ग लोग शामिल हैं, उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से नवाज़े जाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की।
अच्छा अब आपको इस तमाम प्रकरण में कहीं कोई ख़राब बात भी नज़र आती है?
"हिंदी फिल्मों" की इस बेमिसाल सुपरस्टार अभिनेत्री के लिए ये सारे प्रयास सिंधी समाज ने किये, हिंदी समाज ने नहीं।
{साधना की फ़िल्में- लव इन शिमला, प्रेमपत्र, परख, दूल्हा दुल्हन, असली नकली,मनमौजी,एक मुसाफिर एक हसीना, वो कौन थी, वक्त, मेरे मेहबूब, आरज़ू, राजकुमार, हम दोनों, ग़बन, मेरा साया, एक फूल दो माली, इंतकाम, अनीता, बदतमीज़, सच्चाई, छोटे सरकार,महफ़िल, इश्क़ पर ज़ोर नहीं, गीता मेरा नाम, आप आये बहार आई, दिल दौलत और दुनिया, हम सब चोर हैं , अमानत}
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