Wednesday, November 6, 2013

ताज बड़ा कि सिर ?

आजकल देश बहुत छोटे होते हैं, चाहे उनकी आबादी अरबों में हो।  यदि आपको यकीन न हो तो खेलों के समाचार सुन लीजिये, खेल-खेल में हो जायेगा - दूध का दूध और पानी का पानी।
एक खिलाड़ी हारा नहीं, कि खबर आएगी-"देश धराशाई"
खैर, यह तो मीडिया का अति उत्साह है, जो खिलाड़ी में देश देख लेता है।
आज बात एक दूसरे खेल की  है।  सृष्टि राणा  "मिस एशिया पैसिफिक" बनीं।  यह सम्मान पिछली सदी में दो भारतीय सुंदरियों को मिला था- ज़ीनत अमान और दीया  मिर्ज़ा को।  इस नई सदी में तेरह वर्ष बाद किसी भारतीय बाला ने यह गौरव हासिल किया।
आइये देखें, कि एशिया स्तर की स्पर्धा में देश का परचम लहरा कर आने वाली इस युवती का स्वागत विमान तल पर किस तरह हुआ। किसी ने यह नहीं कहा कि भारत के आगे एशिया चित्त।  बल्कि यह कहा गया- 
"मुम्बई हवाई अड्डे पर सृष्टि राणा का ताज़ ज़प्त" 
यह बहुत ख़ुशी की  बात है कि हमारे अधिकारी नियमों और क़ानून के लिए बेहद सजग हैं।  उन्होंने साफ़ कह दिया कि सृष्टि ताज़ में लगे हीरों की  कस्टम ड्यूटी चुकाएं और ताज़ ले जाएँ।
तो अब हमारे क्रिकेट खिलाड़ी भी यदि कहीं से जीत कर लौटें,और विजेता ट्रॉफ़ी में कोई हीरा-जवाहरात जड़ा हो तो सावधान रहें। वे यह न कहें कि हमारा स्वागत करने मालाएं लेकर कोई नहीं आया। बल्कि यह सुनिश्चित करें कि कस्टम ड्यूटी लेकर कौन आ रहा है।
हाँ, अगर उन्हें कभी इस तरह की  समस्या नहीं आती तो फिर मामला हमारा-आपका नहीं है, यह तो 'महिला आयोगों' का है।   

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