यादों की फितरत बहुत अजीब है। किसी को यादें उल्लास से भर देती हैं। किसी को ये दुःख में डुबो भी देती हैं। आखिर यादें हैं क्या?
हमारे मस्तिष्क के स्क्रीन पर, हमारे मन में बैठा ऑपरेटर किसी ऐसी फ़िल्म को, जिसमें हम भी अभिनेता या दर्शक थे, "बैक डेट" से इस तरह चला देता है कि इस दोबारा शुरू हुए बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को हम दोनों हाथों से समेटने लग जाते हैं। ये बात अलग है कि इस आमदनी में हमें कभी खोटे सिक्के हाथ आते हैं और कभी नकली नोट। फिर हम मन मसोस कर रह जाते हैं, और हमें इस सत्य का अहसास होता है कि एक टिकट से दो बार फ़िल्म नहीं देखी जा सकती।
आइये, यादों की कुछ विशेषताएं और जानें-
१. उन व्यक्तियों से सम्बंधित यादें हमारे ज़ेहन में ज्यादा अवतरित होती हैं, जिन्हें हम दिल से पसंद करते हैं, अथवा जिनसे हम ज्यादा भयभीत होते हैं।
२. यादें हमारे चेहरे पर ज्यादा उम्रदराज़ होने का भाव लाती हैं, क्योंकि हम "जिए" हुए को दुबारा जीने की छद्म चालाकी जो करते हैं। एक जीवन में किसी क्षण को दो बार या बार- बार जीने की सुविधा मुफ्त में थोड़े ही मिलेगी।
३. जब हम किसी को याद करते हैं, तो सृष्टि अपने बूते भर हलचल उस व्यक्ति के इर्द-गिर्द मचाने की कोशिश ज़रूर करती है, जिसे हम याद कर रहे हैं।
४. हम यादों के द्वारा उस बात या व्यक्ति के प्रति अपना लगाव बढ़ाते हुए प्रतीत होते हैं, जिसे हम याद कर रहे हैं, पर वास्तव में हम लगाव कम कर रहे होते हैं।
५.किसी बात या व्यक्ति को बार-बार याद करके हम अपने दिल के रिकॉर्डिंग सिस्टम को खराब कर लेते हैं।
६.गुज़रे समय को फिर खंगालना हमारी अपने प्रति क्रूरता है। इस से बचने की कोशिश होनी चाहिए।
६.गुज़रे समय को फिर खंगालना हमारी अपने प्रति क्रूरता है। इस से बचने की कोशिश होनी चाहिए।
यादों का एक नया पहलु जाना...
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट!!
सादर
अनु