भारत का सबसे बड़ा सम्मान "भारत रत्न" किसे और क्यों दिया जाता है?
एक तथाकथित नेता की मानें तो यह उनकी पार्टी की तारीफ करने के लिए दिया जाता है। भारत कोकिला "भारत रत्न" लताजी ने उनके दल के बजाय किसी अन्य दल के नेता की तारीफ कर दी है। लिहाज़ा वे चाहते हैं कि लताजी अब यह सम्मान लौटा दें।
खैर, मैंने इस बात का ज़िक्र इसलिए नहीं किया कि यह मांग गम्भीर है, बल्कि इसलिए किया है कि हमारे मीडिया ने भी तवज्जो देकर यह खबर छाप दी है। उम्मीद है कि मीडिया शायद उन महाशय को अब यह भी समझाने का प्रयास करेगा कि "भारत रत्न" लताजी को हज़ारों सुरीले गीतों के माध्यम से संगीत और समाज की वर्षों तक अहर्निश सेवा करने के लिए दिया गया है, उनके मनचाहे दल या लोगों की तारीफ करने के लिए नहीं।
वैसे भारत में नागरिकों को संविधान के तहत मिले मूल अधिकारों में 'अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता' का अधिकार भी शामिल है, जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति अपने मन में आई बात को ज़ाहिर कर सकता है, इस दृष्टि से उन पर कोई रोक-टोक नहीं है- वे चाहें तो आकाश से सूरज और चन्द्रमा को लौटाने की मांग भी कर सकते हैं।
एक तथाकथित नेता की मानें तो यह उनकी पार्टी की तारीफ करने के लिए दिया जाता है। भारत कोकिला "भारत रत्न" लताजी ने उनके दल के बजाय किसी अन्य दल के नेता की तारीफ कर दी है। लिहाज़ा वे चाहते हैं कि लताजी अब यह सम्मान लौटा दें।
खैर, मैंने इस बात का ज़िक्र इसलिए नहीं किया कि यह मांग गम्भीर है, बल्कि इसलिए किया है कि हमारे मीडिया ने भी तवज्जो देकर यह खबर छाप दी है। उम्मीद है कि मीडिया शायद उन महाशय को अब यह भी समझाने का प्रयास करेगा कि "भारत रत्न" लताजी को हज़ारों सुरीले गीतों के माध्यम से संगीत और समाज की वर्षों तक अहर्निश सेवा करने के लिए दिया गया है, उनके मनचाहे दल या लोगों की तारीफ करने के लिए नहीं।
वैसे भारत में नागरिकों को संविधान के तहत मिले मूल अधिकारों में 'अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता' का अधिकार भी शामिल है, जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति अपने मन में आई बात को ज़ाहिर कर सकता है, इस दृष्टि से उन पर कोई रोक-टोक नहीं है- वे चाहें तो आकाश से सूरज और चन्द्रमा को लौटाने की मांग भी कर सकते हैं।
किसको किस आधार पर पुरस्कृत किया जाये यह कांग्रेस अपने स्वार्थों के आधार पर तय करेगी. शायद उसके नेतृत्व को अब अफ़सोस हो रहा होगा कि उन्होंने लताजी को भारत रत्न से नवाज कर कितनी बड़ी गलती की. अभी पिछले दिनों कांग्रेसी नेताओं के द्वारा पदम् पुरस्कारों के लिए सिफारिश किये नाम कि सूचि बताती ही है कि यह बन्दर बाँट कैसे की जाती है.इसीलिए इनका महत्व कम होता जा रहा है.दुःख यही है कि इन घटिया लोगों के साथ नेहरू आंबेडकर, पटेल जैसे नेताओं कि सूचि भी दूषित हो गयी है.कम से कम इन्हें ऐसे स्टेटमेंट दे अपने मानसिक दिवालियेपन का इजहार न करना छाये था. वे घटया है यह तो सब वैसे ही जानते हैं.
ReplyDeleteaapki bhavna shat-pratishat sahi hai, lekin inhen sahan karne ka koi vikalp bhi to nahi.aabhaar!
ReplyDeleteपुरस्कारों को राजनीति से ऊपर होना चाहिए
ReplyDeleteekdam sahi.dhanyawad.
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