Sunday, November 24, 2013

ऐसे भी हुए निर्णय

"भारत रत्न" सम्मान मोहनदास करमचंद गांधी को नहीं मिला?
अरे,क्यों?
क्योंकि वह अब्दुल गफ्फार खान अर्थात "सीमान्त गांधी" को मिला।
तो क्या हुआ?
एक से विचार,एक से कार्य,एक से व्यक्तित्व के लिए दो लोगों को पुरस्कृत करने से क्या लाभ? लता मंगेशकर को यह पुरस्कार मिला, तो क्या आशा भोंसले, किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, मुकेश को भी मिले?
अरे पर अब्दुल गफ्फार खान को आज़ादी के कई दशक बाद मिला, तब तक महात्मा गांधी के नाम पर विचार नहीं हुआ?
जिस समिति ने राजीव गांधी को इसके योग्य पाया उसी ने वल्लभ भाई पटेल या सुभाष चन्द्र बोस को भी  योग्य पाया। सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु कब हुई?
१९४४ में।  पर कोई-कोई कहता है कि अब तक नहीं हुई।
राजीव गांधी का जन्म ?
१९४४ में।
इस सम्मान का नाम "रत्न" है, रत्न चाहे किसी के राजमुकुट में जड़ा हो, चाहे किसी खदान के गहरे गड्ढों में दबा हो,वह रत्न ही है। वह ज़मीन से निकल कर जब भी उजालों में आएगा, तभी दमकेगा।
इतिहास गवाह है कि गौतम को ज्ञान तब हुआ जब वह बोधि वृक्ष के नीचे बैठे।  सम्राट अशोक में अहिंसा भाव तब जगा जब उनकी तलवार से सैंकड़ों क़त्ल हो चुके थे।  ज़ंज़ीर हिट तब हुई जब सात हिंदुस्तानी, रेश्मा और शेरा, बंसी बिरजू, एक नज़र, बंधे हाथ,बॉम्बे टू गोआ फ्लॉप हो चुकी थीं !
घटिया उदाहरण।         

No comments:

Post a Comment

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...