Tuesday, April 9, 2013

मछली,पंछी,खरगोश और वो

दुनिया का बड़ा भाग पानी है। कहाँ-कहाँ, कैसे-कैसे पानी बह रहा है। पानी की भी अपनी एक दुनिया है। असंख्य रंग-बिरंगी मछलियाँ इन लहरों में जी रही हैं। इन्हें जीवन मिला है, ये उसे बिता रही हैं। रंग,हलचल और सह-अस्तित्व को सलाम।
दुनिया का बड़ा भाग आकाश है। कहाँ-कहाँ, कैसे-कैसे विराट- शून्य पसरा पड़ा है। अम्बर की भी अपनी एक दुनिया है। असंख्य छोटे-बड़े पंछी इस रिक्ति के सागर में डैने फैलाये विचरण कर रहे हैं। इन्हें हवाओं की गोद में जिंदगी मिली है, ये उसे भोग रहे हैं। उन्मुक्त जीवन्तता और उत्कट जिजीविषा को नमन।
दुनिया का बड़ा भाग धरती है। असंख्य छोटे-बड़े जीवों को यहाँ आसरा मिला है। वे एक दूसरे के लिए, एक दूसरे के विरुद्ध,एक दूसरे  से बच कर,एक दूसरे के साथ जी रहे हैं। विविधता, बलिदान और चातुर्य की इस दुनिया को आश्चर्य-मिश्रित शुभकामनायें।
अंत में उन सब लोगों को भी भावपूर्ण याद, जो दुनिया के किसी भी कौने में, दिन-रात के किसी भी पहर, संसार की किसी भी भाषा में कविता लिख रहे हैं।       

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