Tuesday, April 30, 2013

दोस्ती किसने तोड़ी ?

बचपन में मेरा एक मित्र था, अरुण। उसे अन्य देशों के बच्चों से पत्रमित्रता करने का बड़ा शौक था। उसके पास कई विदेशी पत्रिकाएं और किताबें आया करती थीं, क्योंकि उसके पिता किसी नामी पुस्तकालय के अध्यक्ष थे। हम दोनों मित्र खाली समय में बैठ कर उन पत्रिकाओं से तस्वीर और पते देख कर उन लोगों को चुनते थे, जिनसे दोस्ती की जाए। अरुण उस चयन में हमेशा मेरी पसंद को बहुत महत्त्व देता था, क्योंकि मेरे बताये कुछ पतों से उसे अच्छे पत्र-मित्र मिले थे। इस कार्य में मेरी कोई विशेषज्ञता नहीं थी, बल्कि मैंने वे नाम अलटप्पे [संयोग से] ही चुने थे।
मैं नाम चुनते समय दो बातों को बहुत महत्त्व देता था। एक तो डेनमार्क, मलेशिया, तंजानिया, ब्राजील, इटली या टर्की के लोगों को पसंद कर लेता था, दूसरे मुझे सुन्दर बालों वाले बच्चे ज़्यादा आकर्षित करते थे।
दरअसल, मैं बचपन में डाक-टिकट कलेक्शन करता था। तो जिन देशों के डाक-टिकट मुझे सुन्दर लगते, वहां के लोगों को मित्र बनाने का मन होता था। भूटान भी ऐसे ही देशों में था। दूसरे, जब भी हम किसी फोटो-स्टूडियो में फोटो खिंचवाने जाते, तो फोटोग्राफर कंघा देकर कहता- अपने बाल ठीक करलो। फोटो खिंचवाने से पहले मैं  हरेक को बाल संवारते ही देखता था, चाहे लड़के हों या लड़कियां।
अरुण समझता था, कि  मैं मित्रता का बड़ा पारखी हूँ।
एक बार हमने एक मित्र को उसके कहने पर भारतीय रंगों का डिब्बा भेजा, वह बहुत खुश हुआ। दूसरी बार उसने हमसे एक भारतीय "सांप" भेजने का आग्रह किया। दोस्ती टूट गई।

2 comments:

  1. रोचक! प्रबोध जी, दोस्ती टूटने के निम्न दो कारणों में से कौन सा बेहतर है
    1) साँप न भेजना
    2) ड्रैगन न पाना

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  2. Aabhaar!aap kinkartavyavimoodh desh me is sawaal ka kya jawaab apekshit maante hain? Dosti tootne se behtar hai, ho hi na.

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