Wednesday, November 25, 2015

तब क्या होगा?

आज हमारे पास टीवी देखने के लिए ढेर सारे चैनल्स हैं। इनमें बहुत विविधता भी है। कहा जाता है कि आप जो कुछ देखना चाहें वही उपलब्ध है। मनोरंजन की दुनिया में यह उपलब्धि ही है।
लेकिन यह भी सत्य है कि आज मनोरंजन के ये स्टेज भी विचारधाराओं से ग्रसित हैं।
यदि आपका प्रवेश इन अलग-अलग चैनल्स में अबाधित है तो ये आपके लिए ज्ञान और स्वस्थ मनोरंजन का जरिया हो सकते हैं। आप अपने मूड और समय के मुताबिक मनमाफिक कार्यक्रम देख सकते हैं।
लेकिन अगर आपको मितव्ययता के कारण इनमें से अपनी पसंद के चंद चैनल्स चुनने के लिए कहा जायेगा, तो एक आशंका है। यदि आपने समाचार चैनलों का चयन सावधानी से नहीं किया तो हो सकता है कि आप जबरन एकतरफ़ा सोच के शिकार बना दिए जाएँ।
बड़ी संख्या में समाचार चैनल्स आज आपके लिए  'ब्रेनवाश' करने की कोशिश करने वाले आक्रामक हमलावर बनते जा रहे हैं।  कुछ तो ऐसे हैं कि जिन्हें देखते हुए आपको ये साफ लगेगा कि  यदि आपने इनकी बात नहीं मानी तो इनके प्रस्तुतकर्ता परदे से निकल कर आपसे झगड़ा करने लगेंगे।
देश में फैलती सहिष्णुता-असहिष्णुता की रस्साकशी में इनकी भूमिका कितनी है, ये नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
            

4 comments:

  1. आपकी टिप्पणी सटीक और जागरूक करने वाली है।बधाई प्रबोध गोविल जी।ऐसे विचार रखने से विचार मंथन की प्रक्रिया सक्रीय होती है।
    फ़ारूक़ आफरीदी

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  2. ​​​​​​सुन्दर रचना ..........बधाई |
    ​​​​​​​​​​​​​​आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #​असहिष्णुता पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    ​http://hindikavita​​manch.bl​​ogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html​​

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  3. Aap sabhee ko sakaratmak pratikriyaon ke liye hriday se dhanyawad !

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  4. Aap sabhee ko sakaratmak pratikriyaon ke liye hriday se dhanyawad !

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