अच्छा लगता है अपने अतीत से कभी-कभी खेलना। आज ऐसा ही हुआ.
लगभग बाइस साल पहले की बात है, मुझे एक बार महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर "चिपलूण"जाने का अवसर मिला। मैं पहले से कोई बुकिंग करवाए बिना अचानक गया था इसलिए जब ठहरने के लिए मैं कोई अच्छा सा होटल ढूँढने लगा तो मुझे एक होटल थोड़ा दूरी पर एकांत में मिला। जब मैं रिसेप्शन से औपचारिकता पूरी करके अपने कमरे में गया तो मैंने नोट किया कि होटल में पूरा सन्नाटा है और दूर-दूर तक कोई नहीं है.
थोड़ी ही देर में दरवाज़े पर दस्तक हुई और एक तेरह-चौदह साल का लड़का आकर खड़ा हो गया. मैंने उससे आने का प्रयोजन पूछा तो वह बोला- "मैं आपसे बात करने आ गया, वैसे मुझे जाना है क्योंकि मेरी ड्यूटी है" मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. मैं सोचने लगा कि जब इसे ड्यूटी पर जाना है तो क्यों आया है,कोई काम होगा। मेरे पूछने पर वह बोला-"यहाँ सब लोग मराठी भाषा बोलते हैं, मैं मराठी नहीं जानता, इसलिए दिन भर चुपचाप रहता हूँ, आपको काउंटर पर हिंदी बोलते सुना इसलिए थोड़ी बात करने आ गया, वैसे मैं होटल में सफाई का काम करता हूँ."
मैंने दिन में कई बार उससे खूब बातें कीं.
आज मेरे ब्लॉग को चिपलूण में किसी ने खोला है.मैं जानता हूँ कि बाइस साल पहले मिला वह अनपढ़ लड़का "ऑनलाइन" नहीं होगा पर वह मुझे याद आ गया,उसे शब्द शक्ति ने ही मुझसे जोड़ा था.
लगभग बाइस साल पहले की बात है, मुझे एक बार महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर "चिपलूण"जाने का अवसर मिला। मैं पहले से कोई बुकिंग करवाए बिना अचानक गया था इसलिए जब ठहरने के लिए मैं कोई अच्छा सा होटल ढूँढने लगा तो मुझे एक होटल थोड़ा दूरी पर एकांत में मिला। जब मैं रिसेप्शन से औपचारिकता पूरी करके अपने कमरे में गया तो मैंने नोट किया कि होटल में पूरा सन्नाटा है और दूर-दूर तक कोई नहीं है.
थोड़ी ही देर में दरवाज़े पर दस्तक हुई और एक तेरह-चौदह साल का लड़का आकर खड़ा हो गया. मैंने उससे आने का प्रयोजन पूछा तो वह बोला- "मैं आपसे बात करने आ गया, वैसे मुझे जाना है क्योंकि मेरी ड्यूटी है" मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. मैं सोचने लगा कि जब इसे ड्यूटी पर जाना है तो क्यों आया है,कोई काम होगा। मेरे पूछने पर वह बोला-"यहाँ सब लोग मराठी भाषा बोलते हैं, मैं मराठी नहीं जानता, इसलिए दिन भर चुपचाप रहता हूँ, आपको काउंटर पर हिंदी बोलते सुना इसलिए थोड़ी बात करने आ गया, वैसे मैं होटल में सफाई का काम करता हूँ."
मैंने दिन में कई बार उससे खूब बातें कीं.
आज मेरे ब्लॉग को चिपलूण में किसी ने खोला है.मैं जानता हूँ कि बाइस साल पहले मिला वह अनपढ़ लड़का "ऑनलाइन" नहीं होगा पर वह मुझे याद आ गया,उसे शब्द शक्ति ने ही मुझसे जोड़ा था.
न जाने कहाँ होगा वह, क्या कर रहा होगा।
ReplyDeleteAnumaan ke alawa koi aur chaara nahin.Dhanyawad !
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