आज मुझे किसी ने एक किस्सा सुनाया। उनके घर की छत पर एक छोटा कमरा बना हुआ था. वे उस कमरे की भी छत पर टहल रहे थे.सहसा उन्होंने देखा कि घर की दीवार के करीब से एक छोटी सी रौशनी [टॉर्च की भांति] गुजरती हुई ऊपर आकाश में चली गई. इसी के साथ ही हलकी सी ऐसी आवाज़ भी हुई जैसे किसी बच्चे ने कोई पटाखा चलाया हो. उन्होंने नीचे की ओर झांक कर देखने की कोशिश की. तभी नीचे से उनके भाई की आवाज़ आई- भैया, जल्दी नीचे आओ, दादीजी गुजर गईं.
उनकी दादी कई दिन से बीमार थीं और नीचे भीतर कमरे में लेटी हुईं थीं.
हो सकता है कि सचमुच किसी बच्चे ने पटाखा ही चलाया हो और उसकी आवाज़ से दादी के प्राण निकल गए हों, साथ ही किसी ने सचमुच टॉर्च डाल कर छत पर देखा हो कि भैया कहाँ हैं.
पर क्या ऐसा भी हो सकता है कि न किसी ने पटाखा चलाया हो, और न किसी ने टॉर्च ही डाली हो?
उनकी दादी कई दिन से बीमार थीं और नीचे भीतर कमरे में लेटी हुईं थीं.
हो सकता है कि सचमुच किसी बच्चे ने पटाखा ही चलाया हो और उसकी आवाज़ से दादी के प्राण निकल गए हों, साथ ही किसी ने सचमुच टॉर्च डाल कर छत पर देखा हो कि भैया कहाँ हैं.
पर क्या ऐसा भी हो सकता है कि न किसी ने पटाखा चलाया हो, और न किसी ने टॉर्च ही डाली हो?
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