"कास्टिंग काउच" उसे कहा जाता है जो पेशे से तो फिल्मों में भूमिका दिलाने का काम करता है परन्तु वह काम चाहने वाले आशार्थियों से खुद या किसी अन्य के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनवा लेना चाहता है। फिल्मों में वैसे तो 'कास्टिंग डायरेक्टर' या जूनियर कलाकारों के सम्बन्ध में 'एक्स्ट्रा आर्टिस्ट सप्लायर' होते हैं, जो फिल्म निर्माता से कलाकारों को मिलवाने और उन्हें समय पर उपलब्ध कराने का काम करते हैं, किन्तु यदि ये लोग चयन में शारीरिक सम्बन्ध को भी ले आते हैं तो इन्हें "कास्टिंग काउच" कहा जाता है जो एक घिनौना काम माना जाता है। समय-समय पर कई लोगों पर कास्टिंग काउच होने के आरोप लगते रहे हैं।
अभिनेता शक्ति कपूर,निर्माता महेश भट्ट जैसे नामी-गिरामी लोग भी ऐसे आरोप झेल चुके हैं। कुछ समय पहले अभिनेत्री कंगना रनोट और अभिनेता आयुष्मान खुराना ने भी कभी ऐसे लोगों के संपर्क में आने की बात स्वीकारी थी।
बॉलीवुड में हाल में आया ये शब्द वस्तुतः हॉलीवुड से ही आया है किन्तु आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि वहां कास्टिंग काउच खलनायक या अनैतिक काम करने वाला नहीं माना जाता, बल्कि ये काम उसकी विशेषज्ञता का ही एक हिस्सा है।
देश कोई भी हो, फिल्मों की सफलता-असफलता में "सेक्स" की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। वास्तव में फिल्म काल्पनिक कथाक्रम में मनोरंजन के साथ शरीर प्रदर्शन का व्यापार ही है जिसे वास्तविकता के आभास के साथ परोसा जाता है। यही कारण है कि कई साल पहले फिल्मों में काम करना निम्नकोटि का काम माना जाता था।
ऐसे में कलाकारों की मांग-पूर्ति करने वाले व्यक्ति को कलाकार की मानसिकता की पूरी रेंज पता होना एक व्यावसायिक अपेक्षा है। कलाकार चुनने वाला व्यक्ति आशार्थी को अपने "माल"की तरह मानता है, जिसे उसे खपाना है, क्योंकि यही उसकी आमदनी का जरिया है।
ये ठीक वैसा ही है जैसे एक डाक्टर जब अपने मरीज़ की जाँच करने के लिए उसे निर्वस्त्र करता है तो वह रोगी का शीलहरण नहीं कर रहा होता, बल्कि रोग के निदान से पहले उसके बारे में जान रहा होता है।
एक बड़े भोज में हलवाई जब भोजन परोसने से पहले उसे "चख" कर देखता है तो उसका उद्देश्य आपके भोजन को जूठा करना नहीं होता, बल्कि वह ये जानना चाहता है कि सबको पसंद आने वाला स्वाद बन गया है या नहीं। यह उसकी विशेषज्ञता है, उसके पेशे की मांग है।
[ जारी ...]
अभिनेता शक्ति कपूर,निर्माता महेश भट्ट जैसे नामी-गिरामी लोग भी ऐसे आरोप झेल चुके हैं। कुछ समय पहले अभिनेत्री कंगना रनोट और अभिनेता आयुष्मान खुराना ने भी कभी ऐसे लोगों के संपर्क में आने की बात स्वीकारी थी।
बॉलीवुड में हाल में आया ये शब्द वस्तुतः हॉलीवुड से ही आया है किन्तु आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि वहां कास्टिंग काउच खलनायक या अनैतिक काम करने वाला नहीं माना जाता, बल्कि ये काम उसकी विशेषज्ञता का ही एक हिस्सा है।
देश कोई भी हो, फिल्मों की सफलता-असफलता में "सेक्स" की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। वास्तव में फिल्म काल्पनिक कथाक्रम में मनोरंजन के साथ शरीर प्रदर्शन का व्यापार ही है जिसे वास्तविकता के आभास के साथ परोसा जाता है। यही कारण है कि कई साल पहले फिल्मों में काम करना निम्नकोटि का काम माना जाता था।
ऐसे में कलाकारों की मांग-पूर्ति करने वाले व्यक्ति को कलाकार की मानसिकता की पूरी रेंज पता होना एक व्यावसायिक अपेक्षा है। कलाकार चुनने वाला व्यक्ति आशार्थी को अपने "माल"की तरह मानता है, जिसे उसे खपाना है, क्योंकि यही उसकी आमदनी का जरिया है।
ये ठीक वैसा ही है जैसे एक डाक्टर जब अपने मरीज़ की जाँच करने के लिए उसे निर्वस्त्र करता है तो वह रोगी का शीलहरण नहीं कर रहा होता, बल्कि रोग के निदान से पहले उसके बारे में जान रहा होता है।
एक बड़े भोज में हलवाई जब भोजन परोसने से पहले उसे "चख" कर देखता है तो उसका उद्देश्य आपके भोजन को जूठा करना नहीं होता, बल्कि वह ये जानना चाहता है कि सबको पसंद आने वाला स्वाद बन गया है या नहीं। यह उसकी विशेषज्ञता है, उसके पेशे की मांग है।
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