Thursday, March 5, 2015

प्रेम-संसर्ग और महज़ संसर्ग

प्रेम-संसर्ग में दो लोग परस्पर आकर्षण की अगली कड़ी के रूप में सहबद्ध हो जाते हैं। महज़ संसर्ग में परस्पर सहबद्ध हुए लोग सहबद्धता के पूर्व या पश्चात आकर्षण के शिकार नहीं होते। यद्यपि इस मामले में भी पश्च आकर्षण हो सकता है। अथवा एकतरफा पूर्व आकर्षण हो सकता है। रोचक बात ये है कि प्रेम-संसर्ग में भी पश्च विकर्षण या उदासीनता हो सकती है।
उपर्युक्त पंक्तियों का अभिप्राय केवल आपको ये बताना है कि प्रेम और यौनाचार दो अलग-अलग बातें हैं।
संसर्ग दोनों स्थितियों में होता है किन्तु एक स्थिति में ये वृद्धिमान होता है, और दूसरी स्थिति में ये विलोमानुपाती हो सकता है।
इन दोनों स्थितियों को हम स्वयं अपने ही स्वप्न-संकेतों से विश्लेषित कर सकते हैं। अर्थात जब हम निकट भविष्य में संसर्ग जीने वाले होते हैं, तो हमें गहरी नींद के सपने कई जानकारियां दे देते हैं। इसमें एकमात्र शर्त ये है कि हमारी नींद स्वाभाविक,बिना किसी दवा या ड्रग के हो। साथ ही हमारे सपने पेट की खराबी, थकान, गहरे अवसाद के कारण बाह्य आवेगों से घनीभूत न हों।                   

2 comments:

  1. आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा, और यहाँ आकर मुझे एक अच्छे ब्लॉग को फॉलो करने का अवसर मिला. मैं भी ब्लॉग लिखता हूँ, और हमेशा अच्छा लिखने की कोशिस करता हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आये और मेरा मार्गदर्शन करें.

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  2. Dhanyawad, aapke blog ko to main pahle se follow karta hoon.Aapka aabhaar!

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