कहा जाता है कि विश्व की बढ़ती जनसँख्या और ज्ञान के त्वरित फैलाव के चलते हर व्यवसाय में जबरदस्त स्पर्धा का माहौल है। कई युवा उद्यमी जिंदगी की शुरुआत के बहुत से कीमती साल इसी उधेड़बुन में निकाल देते हैं कि वे क्या करें।
ऐसे में यदि आपको व्यवसाय के कुछ ऐसे क्षेत्र मिलें, जिनमें फिलहाल कोई स्पर्धा नहीं है तो सोचिये, आपको कितना सुकून मिले।
दुनिया भर में अभी लाखों लोग "रंग गोरा" करने के व्यवसाय में हैं। तरह-तरह के पाउडर,क्रीम,लोशन आदि बाज़ारों में हैं जो आपको गोरा बनाते हैं। इनके निर्माता और विक्रेता ही नहीं बल्कि 'त्वचा का रंग' सफ़ेद कर देने के सन्देश लिए कई मॉडल्स तक रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं।
ज़रा सोचिये, क्या दुनिया के सारे लोगों को सफ़ेद या गोरा रंग ही पसंद है?
बिलकुल नहीं ! ये तो पुराने दिनों की उस सोच का परिणाम है जब सब जगह गोरे लोगों का ही बोलबाला था, उन्हीं का सर्वाधिक जगहों पर शासन था और वे ही दुनिया के भाग्य-नियंता माने जाते थे। ये मन्त्र भी उन्हीं दिनों, उन्हीं लोगों का रचा-गढ़ा है, जिसकी खुमारी अलसाये वर्तमान पर भी बेवजह तारी है।
वास्तविकता तो ये है कि दुनियाभर की सौंदर्य प्रतियोगिताओं में औसतन पांच साल में एक बार गोरी महिलाएं शिखर पर चुनी जाती हैं । मर्दों में भी सांवला,गेंहुआ,गन्दुमी,पक्का रंग बेहद पसंदीदा है, खुद उन्हें भी और उनकी चाहने वाली महिलाओं को भी । कुछ मुल्कों की आबो-हवा में तो एकदम सफ़ेद त्वचा बीमारी का संकेत समझी जाती है।
तो ऐसे में ज़रा ये भी सोचिये, कि क्या कोई क्रीम-पाउडर-लोशन बदन के रंग को सांवला सलोना भी बना रहा है? क्यों नहीं आप इस दिशा में सोचते !
इतना ही नहीं, दुनिया भर के कई देश रंग-भेद के खिलाफ हैं। वे आपके प्रयासों को तरह-तरह से रियायत, छूट,सब्सिडी आदि देने की सोच सकते हैं। कई मार्केटिंग,प्रचार और विज्ञापन के लोग मन से आप के साथ जुड़ेंगे, नामी-गिरामी मॉडल्स भी ! इस रंग-रंगीली दुनिया में अकेला सफ़ेद रंग कोई राजा नहीं !
ऐसे में यदि आपको व्यवसाय के कुछ ऐसे क्षेत्र मिलें, जिनमें फिलहाल कोई स्पर्धा नहीं है तो सोचिये, आपको कितना सुकून मिले।
दुनिया भर में अभी लाखों लोग "रंग गोरा" करने के व्यवसाय में हैं। तरह-तरह के पाउडर,क्रीम,लोशन आदि बाज़ारों में हैं जो आपको गोरा बनाते हैं। इनके निर्माता और विक्रेता ही नहीं बल्कि 'त्वचा का रंग' सफ़ेद कर देने के सन्देश लिए कई मॉडल्स तक रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं।
ज़रा सोचिये, क्या दुनिया के सारे लोगों को सफ़ेद या गोरा रंग ही पसंद है?
बिलकुल नहीं ! ये तो पुराने दिनों की उस सोच का परिणाम है जब सब जगह गोरे लोगों का ही बोलबाला था, उन्हीं का सर्वाधिक जगहों पर शासन था और वे ही दुनिया के भाग्य-नियंता माने जाते थे। ये मन्त्र भी उन्हीं दिनों, उन्हीं लोगों का रचा-गढ़ा है, जिसकी खुमारी अलसाये वर्तमान पर भी बेवजह तारी है।
वास्तविकता तो ये है कि दुनियाभर की सौंदर्य प्रतियोगिताओं में औसतन पांच साल में एक बार गोरी महिलाएं शिखर पर चुनी जाती हैं । मर्दों में भी सांवला,गेंहुआ,गन्दुमी,पक्का रंग बेहद पसंदीदा है, खुद उन्हें भी और उनकी चाहने वाली महिलाओं को भी । कुछ मुल्कों की आबो-हवा में तो एकदम सफ़ेद त्वचा बीमारी का संकेत समझी जाती है।
तो ऐसे में ज़रा ये भी सोचिये, कि क्या कोई क्रीम-पाउडर-लोशन बदन के रंग को सांवला सलोना भी बना रहा है? क्यों नहीं आप इस दिशा में सोचते !
इतना ही नहीं, दुनिया भर के कई देश रंग-भेद के खिलाफ हैं। वे आपके प्रयासों को तरह-तरह से रियायत, छूट,सब्सिडी आदि देने की सोच सकते हैं। कई मार्केटिंग,प्रचार और विज्ञापन के लोग मन से आप के साथ जुड़ेंगे, नामी-गिरामी मॉडल्स भी ! इस रंग-रंगीली दुनिया में अकेला सफ़ेद रंग कोई राजा नहीं !
सांवला-सनौला वाकई आकर्षक रंग होता है।
ReplyDeleteJi, to fir iske liye Prasaadhan-nirman labhdayak ho sakta hai ya nahin?
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