Wednesday, July 24, 2013

रंगों का पैमाना

अब कुदरत ने रंग कोई यूँही तो बनाये नहीं होंगे। ज़रूर हर रंग के पीछे कुछ न कुछ सोच होगी। आइये, अनुमान  लगाएँ कि प्रकृति ने कौन सा रंग रच कर क्या सोचा होगा।
कुदरत ने सोचा होगा कि अगर मिर्च हरी होगी तो पकने के बाद हरे पेड़ पर दिखेगी कैसे? बस, उसे लाल कर दिया होगा।
कुदरत अनुमान लगाना तो खूब जानती है, उसे पहले ही पता चल गया होगा कि बैंगन हम किसे कहेंगे। तो उसने उसे बैंगनी बनाना ही ठीक समझा।
प्रकृति ने मूली को देख कर कहा होगा, ये किस खेत की मूली है, इस पर क्या रंग खराब करना, इसे सफ़ेद ही रहने दो.
लेकिन यहीं कुदरत से एक भूल भी हो गयी. उसने इंसान के रंग भी अलग-अलग कर दिए.   

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