Friday, February 27, 2015

आप किस तरफ हैं?

वैसे तो दुनिया गोल है, हर कोई हर तरफ हो सकता है, लेकिन फ़िलहाल मैं बात कर रहा हूँ दोस्ती की। सबके असंख्य दोस्त होते हैं। किसके कितने दोस्त हों, कैसे दोस्त हों, ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि वह स्वयं कैसा है।
मुझे लगता है कि दोस्तों में भी एक बेहद खास किस्म के दोस्त होते हैं, जिन्हें आप अपने आप को दुरुस्त रखने का जरिया मान सकते हैं। अर्थात ये दोस्त आपको अपने आप को देखने-आंकने का नजरिया देते हैं।ये आपके गुरु दोस्त होते हैं। इनसे आप सीखते हैं। इनसे आपका रिश्ता एक ऐसे छिपे सदभाव का होता है कि इन्हें पता भी नहीं होता, और आप इनके हो जाते हैं।
अब मैं मुद्दे पर आता हूँ। कुछ लोग मानते हैं कि ऐसे दोस्त हमेशा उम्र और अनुभव में आपसे बड़े होने चाहिए, क्योंकि आप इनसे सीखते हैं, आप इनसे प्राप्त करते हैं। लेकिन वहीँ कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि ये दोस्त आपसे छोटे हों तो बेहतर, क्योंकि इनके रूप में आप अपना जीवन दोबारा जीते हैं। इनकी उपलब्धियों को देख कर आपको ऐसा लगता है कि आपको वह सब अब मिल रहा है जो पहले नहीं मिला, या कि वह आनंद फिर आ रहा है जो कभी पहले आपने लिया। इन्हें छूकर आप अपने गुज़रे दिन फिर छूते हैं।
तो अब आप बताइये कि आप किस तरफ हैं? अर्थात आपका ये आदर्श दोस्त आपसे बड़ा है या आपसे बहुत छोटा? बराबर के दोस्त अक्सर 'बराबर' के ही होते हैं, इसलिए फ़िलहाल हम उनकी बात नहीं करते।                  

4 comments:

  1. लोग अक्सर हमउम्र दोस्तों को ही पसंद करते हैं.छोटी व बड़ी उम्र के दोस्तों के साथ असहज महसूस करते हैं.दो-चार वर्षों का फासला मायने नहीं रखता.

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  2. Aapki baat sahi hai, parampara aisi hi hai.

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  3. मेरे तो सभी मित्र मुझसे बड़े रहे हैं सो अब कोई अपवाद कैसे हो

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  4. Arthaat meri baat me kuchh to dum hai? Shukriya!

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