प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Sunday, November 23, 2014
Saturday, November 22, 2014
Monday, November 17, 2014
बंद गली का आखिरी मकान
दो मित्र थे। गाँव से शहर पढ़ने के लिए आये थे। कुछ तो मितव्ययता का ख्याल, कुछ अध्ययन के लिए आवश्यक एकांत का, और कुछ मालिक मकान से किसी परिचित की दूर की रिश्तेदारी,इन सभी बातों के कारण उन्हें एक बंद गली का आखिरी मकान ही पसंद आया और उन्होंने इसे किराये पर ले लिया।
दिन पंछी की तरह उड़ते हुए बीतने लगे।
संयोग की बात, पढ़ाई पूरी होते ही दोनों की नौकरी उसी शहर में लगी। उधर मकान का मालिक किसी और जगह जाने की योजना बना रहा था, अतःसस्ते में सौदा हो गया और दोनों ने मकान खरीद लिया।
कुछ ही समय में दोनों की पत्नियाँ भी आ गयीं, और घर बस गया।
अब धीरे-धीरे मकान की पिछली दीवार की खिड़कियाँ भी खुलने लगी हैं, चार दीवारी में लोगों ने कुछ तोड़-फोड़ भी देखी। अब उसे लोग बंद गली का आखिरी मकान नहीं कहते।
ठीक भी है, दुनिया की कोई गली हमेशा के लिए बंद नहीं है। "आख़िरी" कहीं भी,कभी भी,आख़िरी नहीं है।
दिन पंछी की तरह उड़ते हुए बीतने लगे।
संयोग की बात, पढ़ाई पूरी होते ही दोनों की नौकरी उसी शहर में लगी। उधर मकान का मालिक किसी और जगह जाने की योजना बना रहा था, अतःसस्ते में सौदा हो गया और दोनों ने मकान खरीद लिया।
कुछ ही समय में दोनों की पत्नियाँ भी आ गयीं, और घर बस गया।
अब धीरे-धीरे मकान की पिछली दीवार की खिड़कियाँ भी खुलने लगी हैं, चार दीवारी में लोगों ने कुछ तोड़-फोड़ भी देखी। अब उसे लोग बंद गली का आखिरी मकान नहीं कहते।
ठीक भी है, दुनिया की कोई गली हमेशा के लिए बंद नहीं है। "आख़िरी" कहीं भी,कभी भी,आख़िरी नहीं है।
Tuesday, November 11, 2014
मॉरिशस के पहाड़-३
अगर आपके साथ कोई दगा करे ,आपको धोखा दे, तो आप उसके साथ कैसा बर्ताव करेंगे?
आपको आपके घर से ढेर सारे सोने का लालच देकर हज़ारों मील दूर किसी निर्जन द्वीप में ले जाकर छोड़ दे,जहाँ आपको सोना मिलना तो दूर,रोटी के भी लाले पड़ जाएँ और आपके घर लौटने के सारे रास्ते भी बंद हो जाएँ।
ऐसे में आपके सामने दो ही विकल्प हैं।
१. आप भाग्य,ईश्वर,समय,लालच,हैवानियत, इन सभी को कोसते हुए आत्मघाती तरीके से खुद को ख़त्म करलें।
२. आप तमाम जुल्म सहने के लिए खुद को तैयार करते हुए अपनी मेहनत और जीवट से मिट्टी को सोना बनाने के लिए जुट जाएँ,और अन्याय को "अंगूठा"दिखा दें।
मॉरिशस ने यही किया है। दूसरा रास्ता अख्तियार किया है। मॉरिशस की वादियों में घूमते हुए 'थम्सअप हिल'आपको इस सच्चाई की गर्वभरी सनद देता है। आखिर प्रकृति भी देखती-समझती है, इंसान के जज़्बात।
आपको आपके घर से ढेर सारे सोने का लालच देकर हज़ारों मील दूर किसी निर्जन द्वीप में ले जाकर छोड़ दे,जहाँ आपको सोना मिलना तो दूर,रोटी के भी लाले पड़ जाएँ और आपके घर लौटने के सारे रास्ते भी बंद हो जाएँ।
ऐसे में आपके सामने दो ही विकल्प हैं।
१. आप भाग्य,ईश्वर,समय,लालच,हैवानियत, इन सभी को कोसते हुए आत्मघाती तरीके से खुद को ख़त्म करलें।
२. आप तमाम जुल्म सहने के लिए खुद को तैयार करते हुए अपनी मेहनत और जीवट से मिट्टी को सोना बनाने के लिए जुट जाएँ,और अन्याय को "अंगूठा"दिखा दें।
मॉरिशस ने यही किया है। दूसरा रास्ता अख्तियार किया है। मॉरिशस की वादियों में घूमते हुए 'थम्सअप हिल'आपको इस सच्चाई की गर्वभरी सनद देता है। आखिर प्रकृति भी देखती-समझती है, इंसान के जज़्बात।
Monday, November 10, 2014
मॉरिशस के पहाड़-२
आप जब मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुइस से निकल कर दक्षिण की ओर जाते हैं तो आपको एक पर्वत-माला के किनारे एक बेहद खूबसूरत पहाड़ की ऊंची चोटी पर निसर्ग की बेमिसाल अदाकारी की मिसाल के तौर पर एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। दरअसल यह एक विशाल चट्टान है जो मानव-आकृति के रूप में आसमान के कैनवस पर चस्पाँ है। यह एक युवक के चेहरे की तरह है जो अपनी गर्दन से पहाड़ से जुड़ा है। हैरत ये देख कर होती है कि इतनी ऊंचाई पर पतली सी गर्दन ने स्वस्थ-बलिष्ठ चेहरे को कैसे साध रखा है?
इस पत्थर-बुत युवक से आपके दिल के तार और भी मुलायमियत से जुड़ जाते हैं, जब आप इस नज़ारे के नेपथ्य से इसकी कहानी सुनते हैं।
कहते हैं कि किसी समय इस पहाड़ पर सफ़ेद लिबास में परियाँ घूमा करती थीं। ये हुस्न-बालाएं एकांत रहिवास का लुत्फ़ उठाने की ग़रज़ से गुमनाम पत्थरों के गाँव में बसर करती थीं। लेकिन कहीं सौंदर्य का मेला लगे, और युवा आँखें न उठें, ये तो मुमकिन नहीं।
पहाड़ों पर मवेशी चराते एक किशोर लड़के ने भौंचक-नैन इस रूप के झरने को निहार लिया। परियों ने लड़के को देखते ही घेर लिया। गुनाह पहला था, और गुनहगार चढ़ती उम्र का मासूम, इसलिए उसे ये चेतावनी देकर छोड़ दिया गया कि वह इन हसीनाओं के बाबत किसी से जिक्र न करे।
लेकिन कोई दुनियाँ की सबसे बेजोड़ खूबसूरती देख ले, और मन पर काबू रख कर किसी से न कहे? लानत है ऐसी जवानी पर!
लड़के ने अपने देखे दृश्य का जिक्र हमनवाओं के बीच कर डाला। वादा तोड़ा।उसे सजा हुई कि हमेशा के लिए "पत्थर के हो जाओ", परिणाम-स्वरुप पत्थर का वह मासूम सनम आज भी वहां खड़ा है।
इस पत्थर-बुत युवक से आपके दिल के तार और भी मुलायमियत से जुड़ जाते हैं, जब आप इस नज़ारे के नेपथ्य से इसकी कहानी सुनते हैं।
कहते हैं कि किसी समय इस पहाड़ पर सफ़ेद लिबास में परियाँ घूमा करती थीं। ये हुस्न-बालाएं एकांत रहिवास का लुत्फ़ उठाने की ग़रज़ से गुमनाम पत्थरों के गाँव में बसर करती थीं। लेकिन कहीं सौंदर्य का मेला लगे, और युवा आँखें न उठें, ये तो मुमकिन नहीं।
पहाड़ों पर मवेशी चराते एक किशोर लड़के ने भौंचक-नैन इस रूप के झरने को निहार लिया। परियों ने लड़के को देखते ही घेर लिया। गुनाह पहला था, और गुनहगार चढ़ती उम्र का मासूम, इसलिए उसे ये चेतावनी देकर छोड़ दिया गया कि वह इन हसीनाओं के बाबत किसी से जिक्र न करे।
लेकिन कोई दुनियाँ की सबसे बेजोड़ खूबसूरती देख ले, और मन पर काबू रख कर किसी से न कहे? लानत है ऐसी जवानी पर!
लड़के ने अपने देखे दृश्य का जिक्र हमनवाओं के बीच कर डाला। वादा तोड़ा।उसे सजा हुई कि हमेशा के लिए "पत्थर के हो जाओ", परिणाम-स्वरुप पत्थर का वह मासूम सनम आज भी वहां खड़ा है।
मॉरिशस के पहाड़
इंसान से कभी-कभी यह शिकायत हो जाती है कि वह अपने जन्मदाताओं को भूल जाता है। लेकिन ऐसा कोई लांछन मॉरिशस की धरती पर नहीं लगता। इसका कारण यह है कि लगभग सत्तर लाख वर्ष पहले सागर के गर्भ से प्रस्फुटित जिस ज्वालामुखी ने मॉरिशस को जन्म दिया वह अभी भी उपेक्षित-अनदेखा नहीं है। वह मॉरिशस के पहाड़ों के बीच एक नम नखलिस्तान की तरह बदस्तूर कायम है।
विनम्रता के लिबास में वक्त को ओढ़े खड़ा ये पथरीला मंज़र उस इंसान के मुकाबिल चुपचाप खड़ा है जो अपने कुलजमा अस्सी-सौ सालों के जीवन में कई बार घमंड और उन्माद में चूर होता दिखाई देता रहा है।
पैदा होते वक्त सतरंगी मॉरिशस ने जो सात रंग देखे-दिखाए होंगे उनकी झलक सात रंगों की मिट्टी की शक्ल में आप आज भी बिखरी देख सकते हैं।
एक विशाल झरना दिन-रात आज भी वहां पानी बहाता देखा जाता है,जाने किसी दर्द की ओट में या फिर दुनिया को "जल तू जलाल तू" की नसीहत देने के क्रम में।
विनम्रता के लिबास में वक्त को ओढ़े खड़ा ये पथरीला मंज़र उस इंसान के मुकाबिल चुपचाप खड़ा है जो अपने कुलजमा अस्सी-सौ सालों के जीवन में कई बार घमंड और उन्माद में चूर होता दिखाई देता रहा है।
पैदा होते वक्त सतरंगी मॉरिशस ने जो सात रंग देखे-दिखाए होंगे उनकी झलक सात रंगों की मिट्टी की शक्ल में आप आज भी बिखरी देख सकते हैं।
एक विशाल झरना दिन-रात आज भी वहां पानी बहाता देखा जाता है,जाने किसी दर्द की ओट में या फिर दुनिया को "जल तू जलाल तू" की नसीहत देने के क्रम में।
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