रंगों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। एक ओर तो समुद्र के गहरे तल में पानी के भीतर जल-रंगों से चित्रकारी हो रही है, दूसरी ओर पीली आग से आसमान काला हो रहा है.
हम ऐसा कोई ढूंढ सकते हैं, जिसे हम अपने से ज्यादा स्नेह कर सकें। इस तलाश में न तो जाति का सिद्धांत काम देगा, और न धर्म का. इसमें स्वयं अपने को ढूंढ लेने पर भी पाबंदी नहीं होगी।
किसी ने सही कहा है -"हरे पत्तों की हिना पिस के जब लाल हुई, तब कहा लोगों ने, हाथ अब हुए पीले"
एक नीबू कई लोगों के दांत खट्टे कर सकता है. आसाराम को गिरफ्तार क्यों किया, आसाराम को गिरफ्तार क्यों नहीं किया,आसाराम को जेल में विशिष्ट क्यों समझा जा रहा है, आसाराम पर बिना जांच पूरी हुए ज़ुल्म क्यों ढाये जा रहे हैं?
हम ऐसा कोई ढूंढ सकते हैं, जिसे हम अपने से ज्यादा स्नेह कर सकें। इस तलाश में न तो जाति का सिद्धांत काम देगा, और न धर्म का. इसमें स्वयं अपने को ढूंढ लेने पर भी पाबंदी नहीं होगी।
किसी ने सही कहा है -"हरे पत्तों की हिना पिस के जब लाल हुई, तब कहा लोगों ने, हाथ अब हुए पीले"
एक नीबू कई लोगों के दांत खट्टे कर सकता है. आसाराम को गिरफ्तार क्यों किया, आसाराम को गिरफ्तार क्यों नहीं किया,आसाराम को जेल में विशिष्ट क्यों समझा जा रहा है, आसाराम पर बिना जांच पूरी हुए ज़ुल्म क्यों ढाये जा रहे हैं?
आसाराम कौन?
ReplyDeleteआसाराम पर बिना जांच पूरी हुए ज़ुल्म क्यों ढाये जा रहे हैं?...जुल्म तो वो था जो उन्होंने उस पीडिता बच्ची पर ढाया था । पुलिस के पास प्रथमदृष्टया इतने सबूत तो हैं ही कि यहां तक वे पहुंच गए , आगे भी अपने अंजाम तक पहुंच ही जाएंगे । सच पूछा अनुराग जी ने -----आसाराम कौन ?
ReplyDeleteAap donon ka aabhaar!Par ye sawaal kripya akhbaar walon se mat poochhiyega, unki to rozi aajkal isi sahaare chal rahi hai.
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