जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पुतिन ल्यूदमिला के नाम की रिंग अपनी अंगुली से उतार देते हैं, तो न पुतिन खलनायक नज़र आते हैं, और न ही ल्यूदमिला कोई खलनायिका।
वे दोनों भी चार्ल्स डायना की भांति अपनी-अपनी शख्सियत को अपनी तरह जीने वाले बेबाक, ईमानदार और खरे इंसान ही सिद्ध होते हैं।
वरना तो महलों, हवेलियों,सत्ताघरों में क्या नहीं होता रह सकता? लोग अपनी शफ्फाक- पवित्र जिंदगी के लिए दुनियावी शिखरों को इतनी आसानी से नहीं त्यागते।
सत्ता-सम्पन्नता के मद में नारायण दत्त तिवारी जैसे लोग भी तो होते हैं, जिनके राज भवनों में पता ही नहीं चलता कि कौन "साहब" को सुबह कॉफ़ी का प्याला देने के लिए है, और कौन पुत्र-रत्न।
वे दोनों भी चार्ल्स डायना की भांति अपनी-अपनी शख्सियत को अपनी तरह जीने वाले बेबाक, ईमानदार और खरे इंसान ही सिद्ध होते हैं।
वरना तो महलों, हवेलियों,सत्ताघरों में क्या नहीं होता रह सकता? लोग अपनी शफ्फाक- पवित्र जिंदगी के लिए दुनियावी शिखरों को इतनी आसानी से नहीं त्यागते।
सत्ता-सम्पन्नता के मद में नारायण दत्त तिवारी जैसे लोग भी तो होते हैं, जिनके राज भवनों में पता ही नहीं चलता कि कौन "साहब" को सुबह कॉफ़ी का प्याला देने के लिए है, और कौन पुत्र-रत्न।
सत्ता-सम्पन्नता के मद की भली कही। लोकतन्त्र के निरंकुश सम्राट हैं कुछ लोग।
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ११ /६ /१ ३ के विशेष चर्चा मंच में शाम को राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी वहां आपका स्वागत है
ReplyDeleteAap dono ke prati aabhaar.
ReplyDeleteसच है!
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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Aap dono ke prati aabhaar.
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