Desh ke doctors apne apne clinics mein baith kar share-bazaar chala rahe hain... unse ilaaj karaane koi nahin aata... yeh sab medical mein arakshan dene ka nateeja hai... kal engineer, prabandhak, CA, vakeel, sab aise na ho jaayen... iske liye aaj zaroori hai ki arakshan naam ki chidiya ke par ab katre jaayen...
प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Tuesday, July 7, 2009
Sapne yun nahin poore hote...
Arjun Singh ji ke baad Kapil Sibbal ne shiksha par nayi nazar daalne ka beeda uthaya hai... lekin ek baat hamesha yaad rakhni hogi ki koi bhi desh apni medha, yogyata ya pratibha ko sarkari bandar-baant mein fansa kar sukhi nahin ho sakta... IIM ya IIT mein sirf aur sirf pratibha ke liye darwaza khule, nahin to anarth ho jayega... pata nahin kyon, hamare desh mein ab ye sochne ki pratha hi khatam ho gayee hai ki kisi bhi sarkari kursi par baith kar kaam karna padta hai... aur koi bhi kaam kabiliyat se hi ho sakta hai... hum chahe jis theehe pe chahe jis manak ko saja den, aise moti maala pirone ka kaam nahin hai shiksha jagat... sab banta-dhaar ho jayega yadi hum shiksha mein arakshan ko jagah denge...
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हम मेज़ लगाना सीख गए!
ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...
Lokpriy ...
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मैं खुद आरक्षण का धुर विरोधी हूँ लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब आरक्षण खत्म होने वाला है | जो भी सरकार आती है इसे बढ़ाती ही चली आती है , मैंने कभी नहीं सुना कि किसी सरकार ने अमुक जगह से आरक्षण खत्म कर दिया |
ReplyDeleteआप समाज के दबे कुचले वर्ग को ऊपर उठाकर सबको एक बराबर में लाइए लेकिन आरक्षण का मतलब ऊपर उठाना नहीं होता , आरक्षण का मतलब है कि एक ठीक ठाक इंसान को आपने बैसाखी पकड़ा दी और उससे चलने को बोला | आप उनके लिए सुविधाएँ मुहैया कराइए , बराबरी का प्लेटफोर्म तैयार कीजिये , उनको उस प्लेटफोर्म तक लाने में मदद कीजिये , कुछ आधारभूत जरूरतें है उनमे मदद कीजिये और जब वो तैयार हो जाए तो उसे दौड़ने के लिए छोड़ दीजिए , अब दोनों (उच्च वर्ग और निम्न वर्ग) एक सामान होंगे , जिसमे प्रतिभा होगी वही जीतेगा |
सादर