मेरे एनजीओ का कार्यालय काफी दिनों तक खाली रहा। उस दौरान मैंने उस ऑफिस की देखभाल के लिए एक "केयरटेकर" रखा। एक दिन मैं ऑफिस आया तो मैंने वहां एक कैलेंडर ज़मीन पर पड़ा देखा। प्रस्तुत है मेरा और केयरटेकर का इस सन्दर्भ में हुआ वार्तालाप-
मैं- मैंने कल कहा था कि पड़ौस के घर से हथौड़ा मांग कर एक कील ठोक कर ये कैलेंडर टांग देना, तुम गए नहीं?
के- मैं गया था सर,उन्होंने कहा कि वे नहीं देंगे।
मैं- क्यों?
के-क्योंकि उनके पास है ही नहीं।
मैं-होता तो दे देते?
के-हाँ,वो तो कह रहे थे कि यदि ज़रूरी है तो हम गाँव से लाकर दें?
मैं-तो लिया क्यों नहीं?
के-मैंने पत्थर से कील ठोक ली।
मैं-तो कैलेंडर टांगा क्यों नहीं?
के-टांगा था सर,वो हवा से गिर गया।
मैं-दोबारा टांग देते।
के-कैलेंडर पिछले साल का पुराना था सर।
मैं- तो इसे फेंको।
के-फेंक दिया था सर,उड़ कर फिर आ गया।
मैं-खिड़की बंद रखो, बाहर का कचरा कैसे आता है?
के-खिड़की का पल्ला ढीला है।
मैं-तो इसे ठीक करो।
के-करूँगा सर,इसके लिए हथौड़ा चाहिए।
मैं- ओके,बी क्विक।
मैं- मैंने कल कहा था कि पड़ौस के घर से हथौड़ा मांग कर एक कील ठोक कर ये कैलेंडर टांग देना, तुम गए नहीं?
के- मैं गया था सर,उन्होंने कहा कि वे नहीं देंगे।
मैं- क्यों?
के-क्योंकि उनके पास है ही नहीं।
मैं-होता तो दे देते?
के-हाँ,वो तो कह रहे थे कि यदि ज़रूरी है तो हम गाँव से लाकर दें?
मैं-तो लिया क्यों नहीं?
के-मैंने पत्थर से कील ठोक ली।
मैं-तो कैलेंडर टांगा क्यों नहीं?
के-टांगा था सर,वो हवा से गिर गया।
मैं-दोबारा टांग देते।
के-कैलेंडर पिछले साल का पुराना था सर।
मैं- तो इसे फेंको।
के-फेंक दिया था सर,उड़ कर फिर आ गया।
मैं-खिड़की बंद रखो, बाहर का कचरा कैसे आता है?
के-खिड़की का पल्ला ढीला है।
मैं-तो इसे ठीक करो।
के-करूँगा सर,इसके लिए हथौड़ा चाहिए।
मैं- ओके,बी क्विक।