Sunday, August 12, 2018

SAAHITYA KI AVDHARNA

कुछ लोग समझते हैं कि केवल सुन्दर,मनमोहक व सकारात्मक ही लिखा जाना चाहिए।  नहीं-नहीं,साहित्य को इतना सजावटी बनाने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा। साहित्य जीवन का दस्तावेज़ है। यदि आप अपने घर से बाहर निकल कर कुछ देखने का जोख़िम नहीं लेना चाहते,तो अपना घर ही देखिये-वहां भी एक भाग में,जहाँ आप पूजा करते हैं,आप जूते उतार देते हैं। किन्तु उसी घर के दूसरे हिस्से में जहाँ शौच के लिए जाते हैं,खोज कर चप्पल पहन लेते हैं। जीवन की यह विविधता साहित्य में भी आएगी। साहित्य केवल भजन-आरती नहीं है,जिसे आप पूजाघर के सुवासित वातावरण में ही लिख लें,वह आपकी जीवन-कथा का छायाकार है, वह आपके साथ पूजाघर में भी जायेगा,शयनकक्ष में भी,और मेहमानख़ाने में भी। ड्राइंगरूम और स्नानघर में भी।         

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

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