Saturday, October 19, 2013

आप क्या ढूंढते हैं लफ़्ज़ों में ?

जब हम कहीं भी कुछ पढ़ते हैं, तो दरअसल हम क्या ढूंढते हैं? आइये इस पर हुई एक शोध के नतीजे देखें-
१. लगभग ७६ प्रतिशत लोग यह देखने में दिलचस्पी रखते हैं, कि दुनिया में ऐसा क्या है, तो अब तक हमने नहीं देखा। इसे हम कह सकते हैं लफ़्ज़ों की हवा!
२. लगभग १२ प्रतिशत पाठक शब्दों पे चढ़ा मांस देखते हैं.
३. दुनिया भर के ३ प्रतिशत लोग छपे शब्द पर धूल के कण देख कर उलझ जाते हैं।
४. जी हाँ, ८ प्रतिशत लोगों की दिलचस्पी पनीले शब्दों में है, अर्थात वे देखते हैं कि  इनमें कितना पानी है?
५. बाकी बचे १ प्रतिशत शब्दों के रंग पर चकित हो जाते हैं।
लिखने वालों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि  वे हवा, मांस, धूल,पानी और रंग मिला कर पाठकों को क्या-क्या परोस सकते हैं!   

Friday, October 18, 2013

शोर

आज अचानक मनोज कुमार की फिल्म "शोर" का ख्याल आ गया। उसमें मनोज कुमार ने बताया था कि  आवाज़ का आना और जाना क्या होता है.
पिछले कुछ समय से ज़रा से तकनीकी कारण से आपसे बातचीत बंद हो जाने से मुझे भी कुछ-कुछ वैसा ही लग रहा था।  केवल आज का समय और दीजिये, कल हम बातें करेंगे।   

राही रैंकिंग/Rahi Ranking 2023

  1. ममता कालिया Mamta Kaliya 2. चित्रा मुद्गल Chitra Mudgal 3. सूर्यबाला Suryabala 4. नासिरा शर्मा Nasira Sharma 5. रामदरश मिश्र Ramdar...

Lokpriy ...