tag:blogger.com,1999:blog-250151619175042420.post7847513931842656301..comments2024-03-10T00:44:59.532-08:00Comments on Kehna Padta Hai/कहना पड़ता है : थोड़ी देर और ठहर [ भाग 5 ]Prabodh Kumar Govilhttp://www.blogger.com/profile/12839366183996594801noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-250151619175042420.post-31869342302332165072012-02-27T05:47:31.371-08:002012-02-27T05:47:31.371-08:00dhanywad.dhanywad.Prabodh Kumar Govilhttps://www.blogger.com/profile/12839366183996594801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-250151619175042420.post-7384182665893060192012-02-26T19:41:21.571-08:002012-02-26T19:41:21.571-08:00@ "ये जनाब अपनी भाषा का राग आलापते हुए दूसरों...@ "ये जनाब अपनी भाषा का राग आलापते हुए दूसरों की भाषा और संस्कृति को नेस्तनाबूद करते घूमते रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि आज यदि ये एयरपोर्ट पर लगे निर्देश-पटों को पढ़ नहीं पाते तो अफ़्रीकी, यूरोपियन और एशियाई भीड़ के धक्के खाते हुए ये अज़रबैजान, होनोलूलू या ट्यूनीशिया के जहाज में चढ़ सकते थे... ऐसे में यही हवाई-अड्डा इनके लिए कुम्भ का मेला बन जाता और ये किसी भी द्वीप पर हिप्पियों की तरह घूमते पाए जा सकते थे. फिर इनकी मदद कोई मनमोहन देसाई नहीं कर पाता और ये मिल्टन के लॉस्ट पेरेडाइज में जिंदगी बिता देते."<br /><b>क्या बात कही है!</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com